गरीबों को महँगी बिजली देने का विरोध ज्ञापन में बताया गया है कि औसत मासिक आय रुपए 4923/-प्रति परिवार वाले किसान से घरेलू बिजली बिल लगभग रूपए 850/- प्रतिमाह व नलकूप बिजली बिल लगभग रुपए 2000/- प्रतिमाह लेना तर्कसंगत व न्यायोचित नहीं है। रालोद ने आरोप लगाया कि शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन को दी जाने वाली हजारों करोड़ प्रतिवर्ष की धनराशि से ग्रामीणों को लाभान्वित किये जाने की बजाय ये धनराशि लाइन लास की भरपाई के नाम पर औधोगिक क्षेत्र के बड़े विद्युत चोरी करने वाले उपभोक्ताओं को राहत देने मे प्रयोग हो रही है।
ग्रामीणों से हो रही वसूली ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान वर्ष मे बिजली मूल्य बढ़ोतरी से प्राप्त राजस्व रुपए 11500 करोड़ का 80 प्रतिशत भार ग्रामीण क्षेत्र पर डाल दिया गया है। धरने को सम्बोधित करते हुये रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश की किसान-मजदूर विरोधी वर्तमान सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिए एक और कदम आगे बढ़ चुकी है। सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष मे ग्रामीण क्षेत्र की बिजली दरों मे 260 प्रतिशत से 350 प्रतिशत तक की वृद्धि कर हर ग्रामीण उपभोक्ता पर एक असहनीय भार डाल दिया है। भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के चारागाह बने विद्युत विभाग की अकर्मण्यता का बोझ सरकार द्वारा गरीब किसान और मजदूर पर डालने की साजि़श को राष्ट्रीय लोकदल सफल नही होने देगा।
बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता रहे मौजूद धरने में प्रदेश उपाध्यक्ष वसीम हैदर, प्रदेश कोषाध्यक्ष प्रोफेसर यज्ञदत्त शुक्ल, युवा रालोद के प्रदेश अध्यक्ष अम्बुज पटेल, छात्र प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक सिंह चौहान, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष डाॅ कृष्णा जायसवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी जावेद अहमद, मध्य जोन व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल, प्रदेश सचिव बीएल प्रेमी, रमावती तिवारी, प्रीति श्रीवास्तव, प्रमोद रस्तोगी, नरेन्द्र यादव, शोएब उस्मानी, चन्द्रकांत अवस्थी, शैलेन्द्र शर्मा, उदित नारायन अवस्थी, कुलदीप यादव, विनोद सोनकर, अजय कश्यप, शमीम बानों, अश्विनी प्रताप सिंह, शशांक श्रीवास्तव, अजय मिश्रा, प्रमोद शुक्ला आदि उपस्थित रहे।