शुरुआती प्रयोगों में सफलताजनक नतीजे आरडीएसओ के ईएमएस के कार्यकारी निदेशक एन के सिन्हा के मुताबिक आरडीएसओ के मानकों के मुताबिक तीन फर्म इस काम को कर रहे हैं। तीन में से एक के प्रयोग को स्वीकृति मिल चुकी है जबकि दो अन्य के कार्यों को स्वीकृति मिलनी हैं। पहले चरण में दक्षिण मध्य रेलवे में 250 किलोमीटर के क्षेत्र में ट्रायल किया गया है। अगले तीन महीने में शेष दोनों फर्मों के कामों को भी अनुमति मिल जाने की उम्मीद है। पहले चरण के प्रयोग के बाद दूसरे चरण में 1500 किलोमीटर के रुट पर यह प्रयोग किया जाएगा। इस प्रयोग में सफलता के बाद इसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। रेलगाड़ी टक्कर बचाव प्रणाली के प्रयोग में रेल इंजन से लेकर रेल पटरी तक में कई तरह के उपकरणों का उपयोग कर यह प्रयोग किया गया है।
रेल दुर्घटनाओं को रोकने में मिलेगी मदद रेलगाड़ी टक्कर बचाव प्रणाली ( टीसीएएस ) प्रणाली दरअसल ऐसी प्रणाली है जो ट्रेनों को दुर्घटनाओं से बचाने में मदद करेगी। यह प्रणाली रेलगाड़ी के लाल सिग्नल पार हो जाने पर उसे रोकने के साथ ही एक ट्रैक पर एक से अधिक ट्रेनों के आ जाने पर उनकी टक्कर को रोक पाने में सक्षम होगा। जिन स्थितियों में रेलवे का प्रचलन
तंत्र ट्रेनों की स्थिति को नियंत्रित कर पाने में असफल हो जाता है, उन स्थितियों में भी यह सिस्टम अपनी कारगर भूमिका निभाएगा। टीसीएएस सिस्टम लोको पायलट की कैब में सिग्नल-पहलुओं के रियल टाइम डिस्प्ले के माध्यम से लोको पायलट की भी मदद करेगा।