– देशभर में छाया प्रदूषण का कहर
– दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी घोषित
– जहरीली हवा में सांस लेना हुआ दूभर
हर तरफ फैला जहरीली हवा का कहर, प्रदूषण बना आफत, अब तक 5724 लोग हुए बीमार
पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी लखनऊ. बदलते मौसम ने यूपी में कहर बरपा रखा है। मच्छरजनित बीमारी डेंगू का कहर आए दिन मरीजों पर टूट रहा है। राजधानी लखनऊ समेत कई अन्य जिलों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्वाथ्य विभाग ने शनिवार को यूपी में डेंगू मरीजों का आंकड़ा जारी किया। इसके मुताबिक अब तक कुल 5724 डेंगू के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें लखनऊ से 1467, कानपुर में 1169 डेंगू के मरीज शामिल हैं। वहीं, यूपी में अब तक 15 लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है। यह सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों के आंकड़े हैं। निजी अस्पतालों में जो लोग अपना इलाज करा रहे हैं,उनकी संख्या को भी जोड़ लें तो स्थिति बहुत ही भयावह है।
डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह ने दावा किया है कि जिस तरह जेई-एईएस पर काबू पाया गया है वैसे ही जल्द ही डेंगू को भी नियंत्रित कर लिया जाएगा। सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या 5724 तक पहुंच गई है, लेकिन न तो कहीं डेंगू के मच्छर कम हो रहे हैै औैर न ही मरीजों की संख्या घट रही है।
लखनऊ सहित प्रदेश के ज्यादातर जिलों में डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंतित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समस्या पर काबू पाने के निर्देश दिए हैं।स्वास्थ्य मंत्री ने भी प्रमुख सचिव स्वास्थ्य देवेश चतुर्वेदी और प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि अभी प्रदेश में न्यूनतम तापमान करीब 26 डिग्री तक है। जैसे ही ठंड बढऩे से तापमान 23 डिग्री तक आएगा, डेंगू का वायरस दम तोडऩे लगेगा।
हर तीन साल में बढ़ता है प्रकोप गौरतलब है कि प्रदेश में हर तीन वर्ष में डेंगू का प्रकोप बढ़ता है। 2016 में प्रदेश के 15 हजार से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आए थे, इसलिए इस साल डेंगू बढऩे की आशंका है। हालांकि सरकार का दावा है कि स्वास्थ्य व अन्य संबंधित विभागों के सम्मिलित प्रयास से इस साल 2016 के मुकाबले मरीजों की संख्या केवल एक तिहाई रह गई है। प्रदेश की 46 लैब में एलाइजा टेस्ट की जांच के बाद ही डेंगू की पुष्टि होती है। सरकार ने हर अस्पताल में डेंगू वार्ड बनाने और डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के साथ स्कूलों को एडवाइजरी जारी की है। 68 हजार स्कूलों में शिक्षकों को इसके लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसके अलावा 9.37 लाख घरों में पानी के कुल 10.88 लाख पात्रों की जांच कर सरकारी व गैर सरकारी इमारतों को कुल 6128 नोटिस जारी किए गए हैै। सरकारी अस्पतालों में बुखार की जांच की निशुल्क व्यवस्था की गयी है।
इन जिलों में ज्यादा मरीजलखनऊ- 1467 कानपुर- 1169 प्रयागराज- 234 सहारनपुर- 216 वाराणसी- 178 हर तरफ जहरीली हवा, पांच शहर ज्यादा बीमार उप्र के कई शहरों में बढ़ता प्रदूषण अब जानलेवा साबित हो रहा है। देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित 10 शहरों में यूपी के पांच शहर शामिल हैं। नोएडा,गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और बागपत में सबसे ज्यादा प्रदूषण है। जबकि कानपुर और लखनऊ भी गंभीर रूप से प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं। पिछले तीन-चार दिनों आसमान में छाई धुंध वायु प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रही है। बढ़ते प्रदूषण से चिंतित राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि किसी शहर में प्रदूषण बढ़ा और उससे समस्याएं हुईं तो संबंधित अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सडक़ और भवन निर्माण कार्य को धीमा करने के निर्देश दिए हैं साथ प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए हर दिन समीक्षा करने को कहा है।
प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाराजगी जताई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन में आपात बैठक बुलाकर प्रदेश में वायु प्रदूषण की स्थिति और इससे निपटने के लिए हो रहे उपायों की समीक्षा की। उन्होंने पराली जलाने, कूड़ा जलाने, और निर्माण कार्यों से होने वाले वायु प्रदूषण पर नजर रखने के निर्देश दिए। सीएम ने परिवहन, ट्रैफिक, गृह, नगर विकास, राजकीय निर्माण, खनन, फायर सेफ्टी, शिक्षा, कृषि, खाद्य एवं रसद विभागों के साथ ही आवास विकास परिषद, यूपीपीसीएल, सीएनजी आपूर्तिकर्ता कम्पनियों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनएचएआई सहित जिला प्रशासन मिलकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के सभी उपाय करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि शहरों में कूड़े का उचित निस्तारण सुनिश्चित किया जाए और इसे जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि कूड़ा जलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सडक़ निर्माण की गतिविधि को अभी कम किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि धूल व बिटुमिन से होने वाले प्रदूषण पर पूरी तरह से लगाम लगायी जाए।
शनिवार को राजधानी लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 334 पर पहुंच गया। हालांकि, यह शुक्रवार की तुलना में 48 प्वाइंट कम रहा। लेकिन इस स्तर पर भी राजधानी की हवा जहरीली है। यूपी के अन्य शहरों का इससे भी बुरा हाल है। शनिवार को नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 451 रहा। वहीं गाजियाबाद का एक्यूआई 449 रहा। केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. राजीव गर्ग का कहना है कि वातावरण में पीएम 2.5 का स्तर प्रति घन मीटर 22 माइक्रोग्राम होने पर 24 घंटे में एक सिगरेट के बराबर पॉल्यूशन फेफड़ों में जाता है। अभी शहर का पीएम 2.5 का स्तर प्रति घन मीटर 300 माइक्रोग्राम है। ऐसे में 12 घंटे घर के बाहर रहने पर सात सिगरेट के बराबर पॉल्यूशन शरीर में जा रहा है। अमूमन बच्चों को वैन से स्कूल आने-जाने में करीब एक से डेढ़ घंटा लगता है। ऐसे में तकरीबन दो सिगरेट के बराबर जहरीली हवा बच्चे ले रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण काफी हद तक बढ़ गया है। इससे खांसी-जुकाम से लेकर फेफड़ों तक की बीमारी हो सकती है। ऐसे में मास्क और सनस्क्रीन ग्लास लगाकर बाहर निकलने पर प्रदूषण के प्रकोप से बचाव किया जा सकता है।
राजनीतिक दलों ने भी सरकार को घेरा ऐसा पहली बार है जब प्रदूषण को लेकर विपक्षी दल राज्य सरकार को घेर रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायायवती ने भारतीय जनता पार्टी सरकारों पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है कि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व साम्प्रदायिक माहौल के साथ-साथ अब सामान्य आबोहवा भी शान्ति से जीने लायक नहीं बची है। केन्द्र और राज्य सरकारें इस आपातस्थिति पर तत्काल समुचित ध्यान दें तो बेहतर है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व लखनऊ में करोड़ों लोगों की सांसों पर संकट की मीडिया में व्यापक चर्चा है, लेकिन सरकार इस जनचिन्ता पर पूरे तौर से गंभीर नहीं है, यह अति-दु:खद है।
मास्क पहनकर करें बचाव प्रदूषण काफी हद तक बढ़ रहा है। इससे खांसी-जुकाम से लेकर फेफड़ों तक की बीमारी हो सकती है। स्कूली बच्चे भी प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में मास्क और सनस्क्रीन लगाकर बाहर निकलने पर प्रदूषण के प्रकोप से बचाव किया जा सकता है।
गैर जनपद ऑटो टेम्पो सीज बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए एसएसपी कलानिधी नैथानी ने जनपद में चलने वाले गैर जनपद ऑटो टेम्पो को सीज करने के निर्देश दिए। दूसरे जनपद से आने वाले ऑटे टेम्पो के प्रदूषण शहर की खराब आबोहवा के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में दूसरे जिलों से चलने वाले ऑटे टेम्पो को सीज कर शहर की सड़कों पर उनकी संख्या कम किए जाने का प्रयास है।
बढ़ रहे डेंगू के मरीज बदलते मौसम में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यूपी में अब तक 5724 डेंगू के मरीजों की पुष्टि हुई है। इसमें लखनऊ से 46, ललितपुर से 30 और कानपुर में 90 डेंगू के मरीजों की पुष्टि हुई है। वहीं, यूपी में अब तक 15 लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है।