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लखनऊ

बहू-भतीजों को वॉक ओवर, बड़े भाई को नहीं बख्शेंगे शिवपाल

यूपी में नेताओं की सियासी रंजिशफिरोजाबाद में चुनावी लड़ाई नहीं, राजनीतिक दुश्मनी की जंगफिरोजाबाद में कांटे की टक्कर, शिवपाल का मुकाबला अक्षय यादव से

लखनऊApr 13, 2019 / 08:21 pm

Hariom Dwivedi

Shivpal Yadav

बहू-भतीजों को वॉक ओवर, बड़े भाई को नहीं बख्शेंगे शिवपाल

पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
लखनऊ. उप्र का लोकसभा चुनाव इस बार कई मायने में अलग है। यहां इस बार सिर्फ राजनीतिक पार्टियां ही नहीं लड़ रहीं हैं, बल्कि राजनीतिक दुश्मनी भी निकाली जा रही है। सियासी रंजिश के केंद्र में फिरोजाबाद और रामपुर लोकसभा सीटें हैं। यहां प्रदेश के दो राजनीतिक धुरंधर शिवपाल और आजम खान चुनाव लड़ रहे हैं।
समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव ने सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की थी। लेकिन, दो दिन पहले उन्होंने मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव के खिलाफ कनौज में अपने प्रत्याशी को हटा लिया। इसके बाद सुनील सिंह राठौर ने पर्चा दाखिल नहीं किया। अब शिवपाल ने आजमगढ़ में भी भतीजे अखिलेश यादव के खिलाफ प्रसपा का उम्मीदवार न उतारने की घोषणा की है। प्रसपा मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव और बदायूं में धर्मेद्र यादव के खिलाफ भी नहीं लड़ रही है। यादव परिवार में आपसी जंग सिर्फ फिरोजाबाद में है। यहां शिवपाल और अक्षय प्रताप आमने-सामने हैं।
फिरोजाबाद में कांटे की टक्कर
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव फिरोजाबाद अपनी पार्टी से उम्मीदवार हैं। जबकि समाजवादी पार्टी के महासचिव और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय प्रताप सिंह दोबारा सपा से प्रत्याशी हैं। वह यहां से सपा से सांसद भी हैं। उन्हें शिवपाल कड़ी टक्कर दे रहे हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी पर वर्चस्व की लड़ाई में रामगोपाल खुलकर अखिलेश यादव के साथ थे। जबकि, मुलायम के संग शिवपाल थे। बाद में पार्टी वर्चस्व की लड़ाई में शिवपाल अकेले पड़ गए। तब रामगोपाल और शिवपाल ने एक दूसरे के प्रति खूब जहर उगले थे। इसी के बाद शिवपाल रामगोपाल के दुश्मन नंबर वन बन गए। यही वजह है कि वह मुलायम परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। लेकिन, अपने चचेरे बड़े भाई रामगोपाल से राजनीतिक बदला लेने के लिए उनके बेटे अक्षय के खिलाफ जंग में हैं।
Shivpal
भाई-बहन के बीच खिंची तलवारें
रामपुर में भी कमोबेश इसी तरह की राजनीतिक जंग है। जो अब सियासी रंजिश में तब्दील हो गयी है। यहां भाजपा से अभिनेत्री जया प्रदा उम्मीदवार हैं। उनके मुकाबले में सपा से आजम खान मैदान में हैं। कभी जयाप्रदा रामपुर से सपा सांसद हुआ करती थीं। तब उन्हें जिताने की जिम्मेदारी आजम पर ही होती थी। लेकिन कल के दोस्त आज दुश्मन हैं। इसीलिए रामपुर की लड़ाई भाजपा बनाम महागठबंधन से ज्यादा आजम खान बनाम जया प्रदा हो गयी है। 2004 में आजम ने जया प्रदा को अपनी बहन बताया था तो जया प्रदा ने उन्हें अपना बड़ा भाई करार दिया था। बाद में आजम और जया प्रदा के संबंध खराब हो गए।
Azam_jaya

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