यूपी में ‘शक्ति प्रदर्शन’ का दौर, हर कोई जुटा ताकत दिखाने में
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले से ही यूपी में शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरु हो गया है। शिवपाल यादव, राजा भैया, ओपी राजभर, सावित्रीबाई फुले ताकत दिखाने में जुट गए हैं…
यूपी में ‘शक्ति प्रदर्शन’ का दौर, हर कोई जुटा ताकत दिखाने में
लखनऊ. जैसे-जैसे आमचुनाव नजदीक आ रहे हैं यूपी में शक्ति प्रदर्शन का दौर तेज हो गया है। राजा भैया के बाद इस कड़ी में प्रगितिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव व हाल ही बीजेपी से इस्तीफा देने वाली सांसद सावित्री बाई फुले भी अपने दमखम दिखाने जा रही हैं। 9 दिसंबर को शिवपाल यादव तो 23 दिसंबर को सावित्री बाई फुले लखनऊ के रमा बाई अंबेडकर मैदान में विशाल रैली करेंगे। बता दें कि यूपी की राजनीति में राजा भैया, शिवपाल यादव, ओम प्रकाश राजभर व सावित्री बाई फुले अपना कद बढ़ाने के लिए इन दिनों शक्ति प्रदर्शन में जुट गए हैं।
भीड़ जुटा दम दिखाएंगे शिवपाल शिवपाल यादव आगामी 9 दिसंबर को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में जन आक्रोश रैली करने जा रहे हैं। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से भीड़ लाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि लखनऊ के आसपास के जिलों से ज्यादा लोग जुटाने की कोशिश हो रही है। पीएसपी यानि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लगभग सभी जिलों में संगठन बन गए है. हालांकि ज्यादातर लोग समाजवादी पार्टी के ही हैं। इसी कारण शिवपाल के काम करने का तरीके इन लोगों को पता है, हालांकि अभी नई पार्टी होने की वजह से भीड़ इकट्ठा करना आसान काम नहीं है लेकिन मुकाबला समाजवादी पार्टी से है, इसलिए चुनौती मुश्किल है। पीएसपी के कार्यकर्ता उत्साहित हैं.पार्टी से जुड़े एक नेता ने बताया कि वह अपने जिले से तकरीबन 5000 लोगों को लेकर जाएंगे। सब कार्यकर्ता मन से तैयारी कर रहे हैं. हालांकि इस तरह के दावों का टेस्ट 9 दिसंबर को होगा क्योंकि कहा जाता है कि रमाबाई अंबेडकर मैदान मायावती की रैली से ही भर पाया है। पिछले दिनों राजा भैया की रैली में भी काफी भीड़ यहां जुट गई थी।
सावित्रीबाई फुले करेंगी बीजेपी के खिलाफ रैली बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले ने गुरुवार को बीजेपी को दलित विरोधी बताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि 23 दिंसबर को वह रमाबाई अंबेडकर मैदान में वह विशाल रैली कर अपना दमखम दिखाएंगी। फुले की पहचान उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एक बड़े दलित चेहरे के तौर पर रही है। हालांकि वह केंद्र और यूपी सरकार पर अक्सर निशाना साधती रही और इस्तीफा देने के बाद भी उन्होंने पार्टी पर आरोप लगाए। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी समाज में विभाजन करने की कोशिश कर रही है। बसपा से जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद भाजपा में पहुंची सावित्री को वर्ष 2012 में बलहा विधान से टिकट दिया गया। इस चुनाव में धमाकेदार जीत से उनका भाजपा में कद बढ़ा। इसका फायदा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा संगठन ने सभी दावेदारों को दरकिनार कर उन्हें बहराइच लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। 23 दिंसबर की रैली के लिए वह प्रदेश भर के दलित समाज के लोगों को एकजुट करने में जुटी हैं। वह अब किस दल में जाएंगी इसकी घोषणा भी कर सकती हैं।
राजा भैया भी जुटे संगठन खड़ा करने में यूपी की सियासत में अब तक निर्दलीय विधायक के तौर पर राजा भैया के प्रभाव से हर कोई वाकिफ था लेकिन मौजूदा सियासी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपनी पार्टी का ऐलान कर दिया । बीते 30 नवंबर को राजधानी के रामा बाई अंबेडकर मैदान में लगभग 70 हजार की भीड़ के बीच उन्होंने ये ऐलान किया। राजनीति में राजा भैया के 25 वर्ष पूरे होने पर उनके समर्थकों ने रजत जयंती समारोह में अपनी ताकत दिखाई। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव, रोजगार व किसानों के मुद्दों को लेकर राजा भैया संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। हर जिले में पदाधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2019 लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव के साथ गठबंधन संभव है। हालांकि 11 दिसंबर के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
राजभर भी बनेंगे चुनौती योगी सरकार के मंत्री ओपी राजभर भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनने की तैयारी में हैं। बीते दिनों उन्होंने लखनऊ में रैली के दौरान अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। इसके लिए वह कई महीने से प्रदेश भर में भ्रमण कर रहे थे। रमाबाई आंबेडकर धरना स्थल पर उम्मीद से कम भीड़ के बीच उन्होंने तेवर तो खूब दिखाए, पर इस्तीफा नहीं दिया। पार्टी के 16वें स्थापना दिवस समारोह पर हुई रैली में राजभर ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर पिछड़ों और दलितों का विरोधी होने का आरोप लगाया। भीड़ से संवाद वाले अंदाज में राजभर ने कहा, मैं सरकार में मंत्री बनकर रुपये कमाने नहीं आया। गरीबों की लड़ाई लड़ने आया हूं। इस सरकार से मन भर गया है। भाजपा का गुलाम बनकर नहीं रह सकता। सूत्रों की मानें तो वह पूर्वांचल में कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।
सभी को 11 दिसंबर के नतीजों का इंतजार 11 दिसंबर को पांच राज्यों के नतीजे आने हैं। इनका असर यूपी की सियासत पर भी अहम होने वाला है। दरअसल जिस महागठबंधन की बात पिछले कई महीनों से यूपी में चल रही है उस पर मुहर इन नतीजों के बाद ही लगेगी। छोटे दल किस ओर से जाएंगे इसकी खुलासा भी 11 दिसंबर के नतीजों के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल सभी दलों का फोकस शक्ति प्रदर्शन पर है
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