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Krishna Janmashtami: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

हिंदी महीने के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।

लखनऊAug 30, 2021 / 08:16 am

Nitish Pandey

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लखनऊ. श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्यौहार सबसे उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) की कृपा और आशीर्वाद के लिए इससे अच्छा कोई दिन नहीं होता है। श्रद्धालुओं इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पूरे देश में जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन मंदिरों को सजाया जाता है। भगवान कृष्ण (Bhagwan Krishna) के श्रद्धालु व्रत करते हैं और उनकी आराधना में लीन रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Krishna) की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है।
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30 अगस्त को है जन्माष्टमी
हिंदी महीने के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्यौहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Krishna) का जन्म हुआ था। इस साल 30 अगस्त दिन सोमवार को यह दिन पड़ रहा है।
बन रहा है यह दुर्लभ संयोग
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का कहना है कि इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) पर छह तत्वों के विशेष संयोग बन रहे है जो बहुत ही दुर्लभ माना जा रहा है। इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाद्र कृष्ण पक्ष, रोहिणी नक्षत्र, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, वृष राशि में चंद्रमा और सोमवार का बेहद अद्भुत संयोग बन रहा है। भगवान श्री कृष्ण (Bhagwan Krishna) के भक्त इस बात का ध्यान रखें कि अष्टमी रात्रि में एक बजकर 59 मिनट तक ही रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।
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दुर्लभ संयोग में पूजा के फायदे
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का कहना है कि इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami) पर बन रहे दुर्लभ संयोग में व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि अद्भुत संयोग में कृष्ण भगवान (Bhagwan Krishna) की विधि विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है तथा भक्तों को भगवत की कृपा प्राप्त होती है।
प्रेत योनि से मिलती है मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहें हैं इस दुर्लभ संयोग में उनके लिए पूजा करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है। इस संयोग में वासुदेव कृष्ण (Bhagwan Krishna) के पूजन से सिद्धि प्राप्त होती है और हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति भी मिल जाती है।
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