गृह सचिव भगवान स्वरूप के अलावा एसआईटी में डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वितीय और एसपी पूनम सदस्य के रूप में शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने अपनी पड़ताल के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के बयान लिए हैं। इसमें पीड़िता के परिवार के अलावा अभियुक्तों, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के बयान भी कलमबंद किये गए हैं। जामकारी के मुताबिक इस मामले में कुछ और अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
सौंपी थी शुरुआती जांच रिपोर्ट एसआईटी ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दो दिन बाद ही शासन को दे दी थी। जिसके आधार पर हाथरस के एसपी और पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है। इसके अलावा पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश भी की जा चुकी है। वहीं इस पूरे मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अलग सुनवाई भी शुरू हो चुकी है।
मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश प्रदेश की योगी सरकार इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश पहले ही कर चुकी है। सिफारिश प्रदेश सरकार से केंद्र को भेजी भी जा चुकी है। लेकिन केंद्र से अभी इस मामले की जांच को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस मामले में सीबीआई अपने यहां एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर सकती है। फिलहाल हाथरस कांड में चारों आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
लड़की का रात में हुआ था अंतिम संस्कार आपको बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को एक 19 वर्षीय दलित लड़की से चार लड़कों ने कथित रूप से गैंगरेप किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी। मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस ने रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया, जिसके बाद काफी बवाल हुआ। परिवार का कहना है कि उसकी मर्जी से पुलिस ने पीड़िता का अंतिम संस्कार नहीं किया, वहीं पुलिस ने इन दावों को खारिज किया।