बसपा सुप्रीमो मायावती ने गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के भाजपा सरकार के फैसले को छलावा और चुनावी साजिश बताते हुए आरक्षण दिए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि देश में गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की सुविधा दिये जाने की बसपा कई सालों से मांग कर रही थी। चुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार आधे-अधूरे व अपरिपक्व तरीके से सवर्ण आरक्षण लेकर आ रही है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सभाजीत सिंह ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को चुनावी जुमला करार दिया। उन्होंने कहा कि साढ़े चार सालों में अब सत्ता से विदाई के वक्त बीजेपी को सवर्णों की याद आई है। सभाजीत सिंह ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाये और संविधान संशोधन करे, नहीं तो यह केवल चुनावी जुमला ही माना जाएगा।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के आदित्य यादव ने कहा कि गरीब सवर्णों को आरक्षण का ऐलान भी 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को नहीं बचा पायेगा। उन्होंने कहा कि वह सवर्ण आरक्षण के पक्षधर हैं, लेकिन जरूरतमंदों को ही आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये। वहीं, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सीपी राय ने कहा कि मोदी सरकार ने बेरोजगारों को हर साल दो करोड़ रोजगार देने का झूठा वादा किया था। सरकार ने नौकरी तो नहीं दी, बल्कि छोटे व्यापारियों की नौकरी खा गई। इसके चलते बड़ी संख्या में बेरोजगारी बढ़ी है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि करोड़ों को रोज़गार देने का झूठा दावा करने वाली भाजपा सरकार को यह आंकड़ा भी देखना चाहिए कि रेलवे के 63 हज़ार पदों के लिए लगभग 2 करोड़ बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया है। हर साल 2 करोड़ रोज़गार पैदा करने का वचन देने वाली सरकार को अगले चुनाव में यही युवा उखाड़ फेकेंगे।