कानपुर देहात के सिंकदरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की टिकट से 2017 में विधानसभा चुनाव जीतने वाले मथुरापाल का कुछ महीने पहले निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद यह सीट खाली हो गई थी। लम्बे समय तक यह सीट कांग्रेस के पाले में थी, लेकिन इस बार मथुरापाल ने विजय पाई थी। राज्य निर्वाचन अधिकारी वेंकटेश्वर लू ने चुनाव की घोषणा कर दी है। आयोग द्वारा तारीखें घोषित किए जाने के साथ ही यहां की सियासत गरमा गई है। दिसम्बर में चुनाव होंगे।
सिंकदरा के लोगों की मांग है कि अगर क्षेत्र का विकास कराना है तो सिंकदरा विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री योगी को भाजपा चुनाव लड़ाए। योगी हाल ही में विधानपरिषद के जरिए उच्च सदन के सदस्य निर्वाचित हुए हैं। क्षेत्रीय लोगों को कहना है कि इस समय यह विकास कराने का स्वर्णिम अवसर है जब इस क्षेत्र से ही देश के राष्ट्रपति हैं और अगर मुख्यमंत्री भी यहां से चुनाव लड़ जाएंगे तो कानपुर देहात का चौतरफा विकास हो जाएगा।
विधानसभा में सपा की कांग्रेस से और भाजपा की अपना दल से हुई दोस्ती। अपना दल ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव अकेले ही लड़ेगी। किसी दल के साथ समझौता करके अपना दल चुनवी मैदान में नहीं आएगा। यही कारण है कि अपना दल ने निकाय चुनावों में भी भाजपा से कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा के आम चुनाव भर के लिए उन्होंने भाजपा से गठबंधन किया था, लेकिन अब यह गठबंधन इस चुनाव में नहीं दिखेगा। यानीकि भाजपा और अपना दल की दोस्ती का मर्तबान अब कहीं न कहीं से चिटक जरूर गया है।
इसी प्रकार सपा और कांग्रेस की दोस्ती में दरार पड़ते दिख रही है। विधानसभा के आम चुनाव में राहुल और अखिलेश एक साथ घूमें। रोड शो किए। फिर अखिलेश ने कहा कि हम स्थाई दोस्ती करते हैं। रोज रोज यार नहीं बदलते। लेकिन निकाय चुनाव में ही यह दोस्ती टूट सी गई। दोनों दलों ने सभी मेयर और अध्यक्षीय व पार्षदीय पद के लिए अपने अपने अलग अलग कंडीडेट उतारे। इसके बाद अब बारी आई सिंकदरा विधानसभा सीट की। रिक्त हुई इस सीट में सपा, भाजपा, कांग्रेस, अपनादल और बसपा सभी प्रमुख दल अपने अपने उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं। अब चर्चा इस बात की है कि पिछले चुनाव में लम्बी दोस्ती का हवाला देने वाले ये दल कितने दिन तक साथ चुनाव लड़ेंगे।