1. के परासरण- 92 वर्षीय के पारासरण सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। के परासरण के 9 साल तक हिंदू पक्ष की पैरवी करने का ही नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया है। पूर्व अटॉर्नी जनरल रह चुके के परासरण को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
2. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराजः बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य प्रयागराज से हैं। हालांकि, इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रहा। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में केस दाखिल किया था।
3. जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज: 2019 में पेजावर मठ के स्वामी विश्वेश्वर तीर्थ के निधन के बाद विश्वेश्वर तीर्थ स्वामी उनके उत्तराधिकार है। उनका जन्म 1964 में दक्षिण कन्नड़ जिले के हेलीयांगडी-पाकशिकेरे में कृष्ण भट्ट में हुआ था। वह कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं।
4. युगपुरुष परमानंद जी महाराज: वह अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख हैं। वेदांत पर युगपुरुष परमानंद जी महाराज की 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को वह संबोधित कर चुके हैं।
5. स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज: 1950 को महाराष्ट्र के अहमद नगर में जन्मे स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं। स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।
6. विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा: अयोध्या राजपरिवार के वंशज विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य और समाजसेवी है। उन्होंने 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा, हालांकि वह हार गए थे, इसके बाद उन्होंने राजनीति छोड़ दी थी।
7. डॉ. अनिल मिश्र, होम्पयोपैथिक डॉक्टर: मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी अनिल अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं। मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अभी संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।
8. श्री कामेश्वर चौपाल, पटना (एससी सदस्य): संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका और दलित होने के नाते उन्हें यह मौका दिया गया। 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा।
9. महंत दिनेंद्र दास- महंत दिनेंद्र दास अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख हैं। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा। दो ट्रस्टी बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित होंगे, जो हिंदू धर्म का होंगे। संभावित हैं कि महंत नृत्यगोपाल दास जी और चंपत राय जी को इसमें समायोजित किया जाए।