कोविड का टीका गर्भवती व गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए पूरी तरह सुरक्षित व कारगर है, इसके लिए केंद्र सरकार की गाइडलाइन भी आ चुकी है । इसलिए कोविड टीके को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में न पड़ें । गर्भवती को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में घर-परिवार के बड़े बुजुर्ग समेत मातृ स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां सहायक बन सकतीं हैं ।
गर्भधारण का पता चलने पर आशा कार्यकर्ता, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण दिवस पर उपस्थित महिलाएं, हर माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी, खुशहाल परिवार दिवस, अंतराल दिवस और गोदभराई जैसी सामुदायिक गतिविधियों के दौरान घर-परिवार व समुदाय की महिलाएं गर्भवती को कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित कर सकतीं हैं । उनको यह भी बताना जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर पड़ जाने के कारण भी संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बनी रहती है ।
इसलिए खुद के साथ अन्य की सुरक्षा के लिए वह जल्द से जल्द कोविड टीकाकरण करा लें । स्कूलों में चल रहे किशोर-किशोरियों का कोविड टीकाकरण इसका बड़ा उदाहरण है कि शिक्षकों व अन्य के प्रेरित करने से बहुत ही कम समय में बड़ी तादाद में किशोर-किशोरियों का टीकाकरण किया जा चुका है । इसलिए सभी लोग ठान लें तो शत-प्रतिशत गर्भवती का भी कोविड टीकाकरण कम समय में ही पूरा किया जा सकता है ।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक- मातृत्व स्वास्थ्य व टीकाकरण डॉ. मनोज शुकुल का कहना है कि कोविड टीकाकरण के साथ ही गर्भवती और धात्री महिलाएं अपने खानपान का भी पूरा ख्याल रखें ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और उनका शरीर संक्रामक बीमारियों से आसानी से लड़ सके । वह अपने भोजन में हरी साग सब्जियों को जरूर शामिल करें और चिकित्सक के बताए अनुसार आयरन व कैल्शियम की गोलियों का भी सेवन करें । इसके अलावा कोविड प्रोटोकाल का भी पालन पूरी तरह से करें, बहुत जरूरी होने पर ही बाहर जाएँ और इस दौरान मास्क जरूर लगाकर रखें, भीड़भाड़ में बिल्कुल न जाएँ ।
घर पर आने वाले मेहमानों से भी दो गज की दूरी बनाकर रखें और खाना बनाने, खाने से पहले और शौच के बाद साबुन-पानी से हाथों को अच्छी तरह से अवश्य धुलें । इसके अलावा हर गर्भवती प्रसव पूर्व चार जांच जरूर कराएं ताकि किसी भी उच्च जोखिम वाली स्थिति का पहले से पता चल सके । इससे सुरक्षित प्रसव में बड़ी मदद मिल सकती है ।