मुलायम के बयान को बनाया गया था आधार याचिका दायर करने वाले राणा संग्राम सिंह ने मुलायम सिंह के 2014 में एक जनसभा में दिए गए बयान को सुप्रीम कोर्ट में आधार बनाया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का जो फैसला आया था, उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने में याचिकाकर्ता ने काफी देर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले के 277 दिनों की देरी के बाद अब इस याचिका पर सुनवाई करने का कोई आधार नहीं है।
पुलिस ने नहीं दर्ज किया था मुकदमा मामले के याचिकाकर्ता राणा संग्राम सिंह ने कहा था कि छह फरवरी 2014 को मैनपुरी जिले में आयोजित एक जनसभा में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि उनके आदेश पर 1990 में पुलिस ने अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलाई थी। याचिकाकर्ता राणा संग्राम सिंह के अधिवक्ता विष्णु जैन के मुताबिक इस बयान के बाद उनके क्लाइंट ने लखनऊ पुलिस में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार कर दिया।
निचली आदालतों ने खारिज किया था मामला याचिकाकर्ता के वकील विष्णु जैन ने कहा था कि इसके बाद उन्होंने लखनऊ की निचली अदालत में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन वहां से भी याचिका को खारिज कर दी गई। फिर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या एक मुख्यमंत्री भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे सकता है? अगर हां, तो किस कानूनी प्रावधान के तहत। क्या पुलिस को भीड़ पर गोली चलाने का अधिकार है? लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी तीन मई 2016 को याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता राणा संग्राम सिंह ने मुलायम सिंह यादव पर अध्योध्या मामले में केस दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज करते हुए मुलायम सिंह को बड़ी राहत दी है।
मुलायम जता चुके हैं अफसोस आपको बता दें कि साल 1990 में अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलाने के आदेश पर मुलायम एक कार्यक्रम में अफसोस भी जता चुके हैं। मुलायम ने समाजवादी पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती के मौके पर सपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि वर्ष 1990 में उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में अयोध्या में विवादित ढांचे को बचाने के लिए उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे, इसका उन्हें अफसोस है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि धर्मस्थल को बचाना उस वक्त जरूरी था, इसलिए गोली चलवाई गई थीं। मुलायम सिंह यादव ने यह भी कहा था कि उन्हें इस बात का अफसोस है, इसलिए उन्होंने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री पद से 1991 में इस्तीफा दे दिया था।