फैसला सुनाने तक बढ़ाया कार्यकाल उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि शीर्ष न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए विशेष न्यायधीश के कार्यकाल को तब तक के लिए बढ़ाया गया है, जब तक अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला नहीं सुना देते। वहीं, इस मामले में नौ महीने के भीतर फैसला सुनाए जाने का निर्देश दिया।
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) को आरोपी माना गया है। इनके अलावा मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 लोगों को भी मस्जिद ढहाए जाने का आरोपी माना गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार और साध्वी रितंभरा पर भी 19 अप्रैल, 2017 को षडयंत्र रचने के आरोप लगाए थे। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा पेश किए गए हलफनामे और ऑफिस मेमो मामले पर निपटारा करते हुए कहा कि वे संतुष्ट हैं कि आवश्यक कार्रवाई की गई। बता दें कि अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट ने खनऊ में सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने को कहा था।
मामले से संबंधित दो मुकदमे अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे को विध्वंस किया गया था। इस मामले से संबंधित दो मुकदमे हैं। पहला मुकदमा अज्ञात कारसेवकों के नाम है जबकि दूसरा मुकदमा मामले में आरोपी बताए गए भाजपा नेताओं के खिलाफ है, जिसपर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा था। 19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर सीबीआई द्वारा दायर अपील को अनुमति देकर और आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 12 लोगों के खिलाफ साजिश के आरोपों को बहाल किया था।
दो साल में पूरी हो कार्रवाई शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत रायबरेली और लखनऊ की अदालत में लंबित पड़े मुकदमों को लखनऊ में ही सुनवाई के आदेश दिए थे। कोर्ट ने ये भी कहा था कि कार्रवाई प्रतिदिन के आधार पर दो साल में पूरी की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप खत्म करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 फरवरी, 2001 के फैसले को गलत बताया था।