scriptनाबालिग मां को बच्ची का खुला खत- मेरी मम्मी: नौ महीने कोख में रखा… फिर क्यों ठुकरा दिया! | untold story of lucknow rape victim new born girl | Patrika News
लखनऊ

नाबालिग मां को बच्ची का खुला खत- मेरी मम्मी: नौ महीने कोख में रखा… फिर क्यों ठुकरा दिया!

दुष्कर्म की शिकार हुई 12 साल की बच्ची मां बन चुकी है, दुष्कर्म का आरोपी जेल में बंद है

लखनऊJan 02, 2018 / 03:02 pm

Ruchi Sharma

rape victim

rape victim

रुचि शर्मा

मेरी प्यारी मम्मी,

मां तो ममता की मूरत होती है ना मां… तो तुम इतनी पत्थर दिल कैसे हो गई? नौ महीने तक मुझे अपनी कोख में रखने के बाद तुमने मुझे अपनाने से इंकार कर दिया। ये भी भूल गई कि मेरा जिस्म तुम्हारे खून के कतरे-कतरे से बना है। वो प्रसव पीड़ा भी तुमने भुला दी मां जो तुमने मुझे जन्म देते वक्त सहन की थी। ये सच है कि मैं तुम्हारी मर्जी से तुम्हारी कोख में नहीं आई थी, पर मुझे जन्म तो तुमने दिया है ना मां। जन्म देने के बाद जब तुमने मुझे अपनाने से इंकार किया तब एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि मैं अकेले इस दुनिया में कैसे जियूंगी। जब भी कभी मुश्किल आएगी तब किसे याद करूंगी। दर्द में कौन मुझे गले लगाएगा, नींद न आने पर कौन लोरियां सुनाएगा। भूख लगेगी तो कौन खाना खिलाएगा। मां मैं किसकी उंगलियां थाम चलना सीखूंगी। मुझे नकारते वक्त मां तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि कल जब मैं बड़ी होऊंगी तब वो हादसा मेरे साथ भी हो सकता जो तुम्हारे साथ हुआ।

मैं समझ सकती हूं मां, बचपन तुम्हारा भी किसी दरिंदे ने छीन लिया। तुम्हारे सपनाें की भी हत्या हुई है। 12 साल की उम्र में तुमने भी अथाह तकलीक सही हैं। लेकिन मां फिर भी सवाल तुमसे ही करूंगी…
जब मुझे अपनाना नहीं था तो मुझे जन्म ही क्यूं दिया। तुम्हारे बिना आज नहीं तो कल मैं वैसे भी मर जाऊंगी, पर मेरी आत्मा तो अभी ही मर चुकी है मां। प्लीज मां, मुझे बताना जरूर मेरी क्या गलती है जो मुझे यूं ही बीच राह में मरने के लिए छोड़ दिया। सुना था ननिहाल में बच्चों को सबसे ज्यादा प्यार मिलता है। लेकिन मैं इतनी बदनसीब हूं कि मेरी नानी को मेरी जिंदगी से ज्यादा समाजिक लोक-लाज का डर है। मां मेरे जन्म के बाद जैसे ही तुमने मुुझे नकारा मैं समझ गई थी कि मैंं गलत दुनिया में आ गई हूं। यहां इंसान नहीं, पत्थर के बुत बसते हैैं और पत्थरों में संवेदनाएं तो होती नहीं हैं।
हाड़-मांस के इंसान की संवेदनाएं हैं ताबूतों में कैद, इंसानियत जहां खत्म हो जाए वहां हर रंग लगता है स्याह चाहे हो कितना सफेद….

तुम्हारी गुड़िया

दो दिन पहले की बात है। राजधानी लखनऊ के सुगापुर गांव की रहने वाली एक 12 साल की नाबालिग ने सदर अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। दुनिया उसे बच्ची को नाजायज कहती है, क्योंकि एक दरिंदे ने उसकी नाबालिग मां का बलात्कार किया था, जिसके नतीजे में वह कोख में आई। गुडिय़ा को जन्म देने वाली मां और रिश्तेदारों ने कबूल करने से इंकार कर दिया है। कौन गुडिया को पालेगा, कौन उसे अपनीछाती से चिपकाकर रखेगा। अगर गुडिय़ा बोल पाती तो पाती के इन्हीं जज्बातों को बयान करती..

Home / Lucknow / नाबालिग मां को बच्ची का खुला खत- मेरी मम्मी: नौ महीने कोख में रखा… फिर क्यों ठुकरा दिया!

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो