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लखनऊ

मुलायम के चरखा दांव से यूपी में दिखा था महाराष्ट्र जैसा सियासी घटनाक्रम, 1989 में ऐन वक्त पर अजित सिंह से फिसली थी सीएम की कुर्सी

महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़े पुराने वाकयों की याद ताजा कर दी है

लखनऊNov 23, 2019 / 06:21 pm

Hariom Dwivedi

 political sinario

मुलायम के चरखा दांव से यूपी में दिखा था महाराष्ट्र जैसा सियासी घटनाक्रम, 1989 में ऐन वक्त पर अजित सिंह से फिसली थी सीएम की कुर्सी

लखनऊ. महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़े पुराने वाकयों की याद ताजा कर दी है। महाराष्ट्र जैसा सियासी उलटफेर पहली बार 1989 में देखने को मिला था, जब जनता दल की जीत के बाद मुख्यमंत्री घोषित हो चुके अजित सिंह सपने संजोते रह गए और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बन गये। इसके अलावा जदगम्बिका पाल का एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनना भी ऐतिहासिक घटनाक्रम है। यूपी में बीजेपी और मायावती का ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर सरकार बनाना भी यूपी की सियासत के पन्नों में दर्ज है।
सपने संजोते रहे अजित सिंह, सीएम बन गये मुलायम
80 के दशक में जनता पार्टी, जन मोर्चा, लोकदल अ और लोकदल ब ने जनता दल बनाया और मिलकर चुनाव लड़े। तब 425 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में जनता दल को 208 सीटें मिलीं। सरकार बनाने के लिए 14 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत थी। जनता दल की ओर से लोकदल ब के नेता मुलायम सिंह यादव और लोकदल अ के अजित सिंह मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर रहे थे। मुख्यमंत्री पद के लिए अजित सिंह और उपमुख्यमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह का नाम लगभग फाइनल हो चुका था। तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बाकायदा उनके नाम की घोषणा भी कर दी थी। लखनऊ में अजित सिंह की ताजपोशी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन ऐन वक्त पर जनमोर्चा के विधायक मुलायम सिंह के पाले में जा खड़े हुए। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने सीएम पद की दावेदारी पेश की। मामला बिगड़ता देख प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने फैसला किया कि मुख्यमंत्री पद का फैसला लोकतांत्रिक तरीके से गुप्त मतदान के जरिये होगा। मतदान हुआ। अजित सिंह पांच वोटों से हार गये। पांच दिसंबर 1989 मुलायम ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
एक दिन के सीएम बने थे जगदम्बिका पाल
वर्ष 1998 में यूपी की सियासत में एक और उलटफेर देखने को मिला जब जगदम्बिका पाल को सिर्फ एक दिन के लिए सीएम की कुर्सी दी गई थी। दरअसल, 21-22 फरवरी, 1998 को यूपी के गवर्नर रोमेश भंडारी ने राज्य में शाष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की पर केंद्र ने इसे ठुकरा दिया। बीजेपी के मंत्री कल्याण सिंह ने अन्य दलों के विधायकों के साथ 93 सदस्यीय मंत्रिमंडल बनाया था। विपक्ष ने इसका विरोध किया। भंडारी ने ऐतराज जताया और सरकार को बर्खासत करने का निर्णय किया। जगदम्बिका पाल की सरकार बनी लेकिन वह एक दिन भी नहीं टिक पाई। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कल्याण सिंह समर्थक मामले को हाईकोर्ट में उठाया। हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर रोक लगा दी और कल्याण सिंह दोबारा सीएम बने।

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