नकल रोकने की रहेगी कोशिश डॉ. दिनेश शर्मा के मुताबिक, पिछले साल जहां 60 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी वहीं इस बार बोर्ड परीक्षाओं में 66 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे। इससे साफ है कि इस बार परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ेगी। पहले जहां एक परीक्षा केंद्र पर 531 परीक्षार्थी परीक्षा देते थे वहीं इस बार एक परीक्षा केंद्र पर ***** परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि केंद्र कम होने के कारण उनकी निगरानी आसान होगी। केंद्रों पर सामूहिक नकल पर भी लगाम लगाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार परीक्षाओं को लेकर पारदर्शिता बरती है। स्कूलों की पड़ताल के बाद ही उन्हें परीक्षा केंद्र बनाया गया है।
इन सेंटर्स पर उठे सवाल राजधानी लखनऊ में बोर्ड की फाइनल सूची में उन स्कूलों को भी सेंटर बनाया है, जिन्हें पिछले साल काली सूची में डालने की संस्तुति हुई थी। इनमें से कई स्कूल ऐसे भी हैं जहां पिछले कई वर्षों से परीक्षा के दौरान खामियां मिलती आई हैं। ऐसे स्कूलों पर एक्शन लेने के बजाय अधिकारियों ने उन्हें फिर से यूपी बोर्ड परीक्षा का सेंटर बना दिया है। वहीं डीआईओएस मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि जो भी सेंटर विवादित हैं वहां पर कड़ी निगरानी में परीक्षा होगी।राजधानी में बोर्ड परीक्षा के लिए पहले 157 सेंटरों की सूची जारी की गई थी। इन पर अधिकारियों ने आपत्तियां मांगी थी। आपत्तियां आने के बाद परीक्षा समिति ने 136 केंद्रों की सूची जारी कर दी गई है। हालांकि इस सूची में कई दागी और संसाधन विहीन स्कूलों को केंद्र बना दिया गया। यहीं नहीं आपत्तियों के बाद भी काली सूची में शामिल स्कूलों को भी परीक्षा केंद्र बना दिया गया है।
ये हैं दागी सेंटर्स कुंवर आसिफ अली इंटर कॉलेज (महिलाबाद) महेश सिंह सरस्वती इंटर कॉलेज, (माल), नन्हे सिंह स्मारक इंटर कॉलेज, मलिहाबाद चिनहट स्थित अवध अकेडमी इंटर कॉलेज, इंदिरानगर स्थित सक्सेना इंटर कॉलेज और प्रियदर्शिनी इंटर कॉलेज समेत कई कॉलेज ऐसे हैं जिन्हें काली सूची में डालने के बाद भी परीक्षा केंद्र बना दिया गया है।