मांगा गया ब्योरा खुलासा होने पर एसआईटी के बाद शासन ने असलहा लाइसेंस स्वीकृत करने वाले पुलिस कर्मियों और अफसरों का ब्योरा तलब कर लिया है। सभी की वर्तमान तैनाती को भी देखा जा रहा है। इन सभी पर आरोप है कि विकास और उसके गुर्गों का आपराधिक इतिहास जानने के बाद भी इन लोगों ने आंखें बंद करके रिपोर्ट लगाकर असलहा लाइसेंस स्वीकृत कराने में विकास दुबे की मदद की। शासन ने लाइसेंस स्वीकृत वर्ष के साथ संबंधित अफसर और आख्या का ब्योरा भी मांगा है। रिपोर्ट वाली फाइल की फोटोकॉपी जल्द ही शासन को भेजी जाएगी।
19 असलहे भी होंगे निरस्त जानकारी के मुताबिक विकास के करीबियों के बचे हुए 19 असलहे भी जल्द निरस्त किए जाएंगे। डीएम कोर्ट के अल्टीमेटम के बावजूद लाइसेंस धारक अब तक हाजिर नहीं हुए। इसी महीने इनके लाइसेंस रद्द हो सकते हैं। इससे पहले विकास के गुर्गे जय बाजपेई समेत 10 लोगों के असलहा लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं। इनमें विकास से जुड़े जय बाजपेई, जहान सिंह, उमाशंकर, रामसिंह, विष्णुपाल सिंह, यादवेंद्र सिंह, रवींद्र कुमार, जयशंकर, राजाराम के दो-दो लाइसेंस है। चौबेपुर पुलिस ने 29 निरस्त करने की रिपोर्ट डीएम कोर्ट को भेजी थी। उस पर लगातार सुनवाई हो रही है। इसमें विकास के सगे भाई दीपक दुबे, उसकी प्रधान पत्नी अंजलि दुबे समेत कई करीबियों के लाइसेंस हैं। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कई ने जवाब तक नहीं लगाए हैं। डीएम ने सभी 19 को आखिरी अल्टीमेटम देकर हाजिर होकर जवाब देने को कहा है। अब अगर ये लोग हाजिर नहीं होते हैं तो इनके भी लाइसेंस रद्द करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मनु को गवाह बनाने की पुलिस ने खोली राहें बिकरू कांड में मनु पांडेय उर्फ वर्षा की भूमिका को लेकर पुलिस ने दोहरा खेल किया है। उसको न तो आरोपी बनाया और न ही गवाह। मनु द्वारा बदमाशों का सहयोग करने के प्रयास का जिक्र चार्जशीट में पुलिस ने किया, मगर इससे संबंधित मिले साक्ष्यों की पुष्टि नहीं की। आगे की जांच में साक्ष्यों की पुष्टि करने का हवाला दिया है। ऐसे में पुलिस के पास दो विकल्प हैं। वो मनु को आरोपी या गवाह बना सकती है। हालांकि जिस तरह के साक्ष्य मनु के खिलाफ हैं, उससे आरोपी बनाए जाने की अधिक संभावना है।