पेश किया गया ड्राफ्ट डॉ. दिनेश शर्मा कि कहा कि नियमावली का ड्राफ्ट अंतिम नहीं है। सुझावों के बाद ही इस पर राय ली जाएगी। 11 सदस्यों की कमेटी ने इसे बनाया है। विभिन्न राज्यों राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और तमिलनाडु में इससे संबंधित विधेयक और उन पर आई आपत्तियों का अध्ययन किया गया है। उन्होंने कहा, अभिभावकों के संघ को भी हमने सुना। स्कूलों के प्रबंध
तंत्र से भी बात की। शिक्षा के विशेषज्ञों से भी बात की गई। व्यापक दृष्टिकोण से इसे बनाया गया है।
बताया गया कि ये विधेयक यूपी बोर्ड, सीबीएसई, और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में भी लागू होगा। इसमें शुल्क को चार भागों में बांटा गया है। फीस वार्षिक या एकमुश्त नहीं ली जा सकती। इसमें केवल 15 प्रतिशत विकास शुल्क लिया जा सकता है। जिसे स्कूल में ही खर्च किया जा सकेगा। साथ ही कॉशन मनी को रिफंडेबल बनाया जाएगा।
स्कूल के आय-व्यय को भी निर्धारित किया गया है। दिनेश शर्मा ने बताया कि मान लीजिये कि स्कूल कोई ट्रस्ट चला रहा है और परिसर में शादी ब्याह या व्यावसायिक गतिविधि करते हैं तो उससे जो पैसा आएगा वो स्कूल के खाते में जायेगा ना कि ट्रस्ट में। वो संस्था की आय मानी जायेगी। जितनी आय बढ़ेगी, बच्चों की फीस कम होती जायेगी।
पहले ही दिए थे सख्ती के संकेत बता दें प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा पहले ही कह चुके हैं कि स्कूलों की स्थिति सुधारने को लेकर सरकार गंभीर है। दरअसल योगी सरकार ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन को लेकर कमर कस ली है। सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च शिक्षा और मदरसा शिक्षा में तेजी से बदलाव की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। चाहे वह पाठ्यक्रम में बदलाव हो, बच्चों को किताबों के साथ ड्रेस बांटने की व्यवस्था हो या शिक्षकों की हाजिरी में अनुशासन लागू करना हो।