11 महीने तक कुंभकर्णी नींद सो रहे उप्र सरकार के कई विभागों के अफसरों की अब अचानक नींद टूटी है। आलम यह है कि इन दिनों लेखा सेक्शन के कर्मचारी अपने अपने विभागों में देर रात तक फाइलों में सिर खपा रहे हैं। माथापच्ची चल रही है कि कैसे इतनी भारी-भारी धनराशि को खपाया जाए। पुरानी तारीखों में प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। 11 महीने से हजारों करोड़ रुपए दबाए बैठे अफसर अब 31 मार्च की रात तक इस भारी भरकम राशि को खर्च करने की कोशिशों में जुटे हैं। परियोजना रिपोर्ट की फाइलों से धूल साफ की जा रही है और ठेकेदारों के कमीशन तय हो रहे हैं।
वित्तीय स्वीकृति जारी करने में गड़बड़ी
ऐसा नहीं है कि विभागों को पैसा इस मार्च माह में जारी हुआ है। राज्य सरकार और वित्त विभाग ने तो कई विभागों को 11 माह पहले ही बजट जारी कर दिया था। लेकिन, अफसर और बाबू मिलकर अरबों रुपए की फाइलें दबाएं रहे। परियोजनाओं को वित्तीय स्वीकृतियां ही नहीं दी गयीं। जबकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कई बार विभागों को समय से वित्तीय स्वीकृतियां जारी करने का निर्देश दे चुके हैं। मुख्यमंत्री के पास जब भी वित्तीय स्वीकृति की फाइलें पहुंचीं सभी फाइलों को एक सप्ताह में ही स्वीकृत दे दी गई। वित्त विभाग ने भी कोई अड़ंगा नहीं लगाया। लेकिन, विभागों में प्रक्रिया इतनी जटिल रही कि 10-11 महीने तक प्रोजेक्ट को पैसा ही जारी नहीं हो पाया। अरबों की राशि बैंकों और विभाग में ही पड़ी रह गयी।
किस विभाग में कितनी काहिली
बात किसानों की करें। प्रदेश में हर रोज कर्ज के बोझ में दबे किसानों के आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। कहीं किसान खेत की सिंचाई नहीं कर पा रहा है तो कहीं उसे खाद डालने के लिए सोसाइटियों से उर्वरक नहीं मिल रही। अकेले कृषि विभाग के लिए सरकार ने 40259 करोड़ रुपए जारी किए हैं। लेकिन, अब तक सिर्फ 23249.52 करोड़ों रुपए ही खर्च हो पाए हैं। बाकी 17000 करोड़ से ज्यादा की राशि अब तक सरकारी खजाने में पड़ी है। जबकि, इतनी बड़ी राशि से लाखों किसानों का भला हो सकता था। किसान तबाह हो रहे हैं।
चीनी उद्योग के लिए सरकार ने 1020.18 करोड़ रुपए दिए थे। लेकिन, आश्चर्य है कि इसमें से सिर्फ 90.60 करोड़ रुपए ही खर्च हुए। 929.58 करोड़ों रुपए की भारी भरकम राशि अब भी वित्तीय स्वीकृतियों के लिए फंसी पड़ी है। इधर, हर रोज एक चीनी मिल बंद हो रही है। किसान मर रहे हैं। इसी तरह लघु सिंचाई विभाग के लिए 486 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया। लेकिन खर्च हुआ 182 करोड़, यहां भी 304 करोड़ रुपए की राशि बची रह गई।
किसान कर्ज माफी में भी ढुलमुल रवैया
राज्य सरकार ने किसानों की कर्ज माफी के लिए 36,000 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया। इसके लिए कृषि विभाग को राशि जारी कर दी गयी। लेकिन, हद है सरकार की इस प्राथमिकता वाले विभाग में भी सिर्फ 20940 करोड़ रुपए ही अभी तक किसानों बांटे गए। इसी तरह सरकार की प्राथमिकताओं में प्राथमिक शिक्षा भी शामिल है। इसके लिए 54882.38 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था लेकिन अब तक 33837.15 करोड़ रुपए खर्च हुआ। अभी 21045.23 करोड रुपए बचा हुआ है। जबकि, माध्यमिक शिक्षा के लिए जारी बजट 9530.18 करोड़ में से 7734.15 करोड़ ही खर्च हुए हैं, यहां भी 1795.83 करोड़ रुपए बचा हुआ है। ये सारी राशि या तो 31 मार्च तक आनन-फानन में खर्च की जाएगी या फिर इन्हें अनावश्यक व्यय में खर्च दिखाकर कागजी खानापूर्ति की जाएगी।
किस विभाग ने कितना किया खर्च ( करोड़ में )
विभाग – वजट प्रवधान – खर्च – अवशेष
1. ऊर्जा विभाग – 20107 / 11382 / 8725
2. कृषि विभाग – 40259 / 23249.52 / 17003.48
3. आवास विभाग – 1265.21 / 602.00 / 603.21
4. ग्राम विकास निकाय – 18992.57 / 11338.60 / 76.53.91
5. लघु सिंचाई विभाग – 486 / 182 / 304.00
6. चीनी उद्योग – 1020. /90.60/ 929.58
7. नगर निगम – 10452 / 5649.23 / 4843.53
8. पर्यटन विभाग – 2477.63 / 314.07 / 2163.50
9. बाल विकास पुष्टाहार – 5802.53 / 2533.96 / 3328.57
10. अल्पसंख्यक कल्याण – 2551.68 / 674.68 / 1876.32
11. महिला कल्याण – 2037.93 / 1285.30 / 753.63
12. प्रथमिक शिक्षा – 54882.38 / 33837.15 / 21045.23
13. माध्यमिक शिक्षा – 9530.77 / 34.35 / 1795.83
14. पिछड़ा वर्ग कल्याण – 1654.03 / 250.45 / 1403.58
15. समाज कल्याण (एससी) – 7294.41 / 2597.39 / 4697.02
16. कृषि कर्ज माफी – 32399 / 20940 / 11459
17. भारी एवं उद्यम विभाग – 3201 / 1292.21 / 1908.79
18. pwd – 500 / 42.9 / 457.91
19. चिकित्सालय एवं प्रशिक्षण – 4323.89 / 2773.94 / 1549.95
20. परिवार कल्याण – 6486.77 / 3847.27 / 2639.05