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यूपी सरकार की मांग, हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो ‘लव जिहाद’ कानून की सभी याचिकाएं

locationलखनऊPublished: Jan 19, 2021 07:47:53 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के समक्ष एक अर्जी दायर कर अवैध धर्मांतरण कानून (Illegal religion conversion law) की इलाहाबाद हाईकोर्ट (Highcourt) में लंबित रिट याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाए जाने व उन्हें सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के समक्ष एक अर्जी दायर कर अवैध धर्मांतरण कानून (Illegal religion conversion law) की इलाहाबाद हाईकोर्ट (Highcourt) में लंबित रिट याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाए जाने व उन्हें सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। यूपी सरकार ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अदालत को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाख़िल किये जाने की जानकारी दी। उसने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने तक हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई स्थगित किए जाने की भी अपील की। एएजी (एडीश्नल एडवोकेट जनरल) मनीष गोयल ने प्रस्तुत किया था कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही मामले का संज्ञान ले चुकी है और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चुकी है, इसलिए हाईकोर्ट के लिए सुनवाई जारी रखना उचित नहीं हो सकता है।
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उत्तर प्रदेश में लव जिहाद (Love Jihad) से जुड़े कानून को लेकर 7 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई थी। पहचान बदलकर लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए बने कानून की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई का हवाला देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाएं स्थगित करने के इनकार के मद्देनजर सरकार ने अनुच्छेद 139 एए के तहत शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
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याचिका में क्या कहा गया

याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी कानून को संविधान के खिलाफ व गैरजरूरी बताते हुए उसे चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने इसमें कहा है कि यह कानून व्यक्ति की निजी पसंद और अपनी शर्तों पर किसी व्यक्ति के साथ रहने व उसे अपनाने के मूल अधिकारों के खिलाफ है। यह लोगों की आजादी के अधिकार का हनन करता है, इसलिए इसे रद्द किया जाए, क्योंकि इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है.
राज्य सरकार का ये है तर्क-
वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब न हो, इसके लिए कानून लाया गया है, जो पूरी तरह से संवैधानिक है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, बल्कि नागरिक अधिकारों की रक्षा की जाती है। इस कानून के जरिए केवल छल-कपट के जरिये धर्मांतरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।
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