ये भी पढ़ें- ‘तांडव’ विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील ने कही यह बातें उत्तर प्रदेश में लव जिहाद (Love Jihad) से जुड़े कानून को लेकर 7 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई थी। पहचान बदलकर लव जिहाद के जरिए धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए बने कानून की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई का हवाला देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की। उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाएं स्थगित करने के इनकार के मद्देनजर सरकार ने अनुच्छेद 139 एए के तहत शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
ये भी पढ़ें- यूपी में वेब सीरीज ‘तांडव’ पर तांडव जारी, संत नाराज, सीएम योगी बोले- चुकानी होगी कीमत याचिका में क्या कहा गया याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी कानून को संविधान के खिलाफ व गैरजरूरी बताते हुए उसे चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने इसमें कहा है कि यह कानून व्यक्ति की निजी पसंद और अपनी शर्तों पर किसी व्यक्ति के साथ रहने व उसे अपनाने के मूल अधिकारों के खिलाफ है। यह लोगों की आजादी के अधिकार का हनन करता है, इसलिए इसे रद्द किया जाए, क्योंकि इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है.
राज्य सरकार का ये है तर्क-
वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब न हो, इसके लिए कानून लाया गया है, जो पूरी तरह से संवैधानिक है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, बल्कि नागरिक अधिकारों की रक्षा की जाती है। इस कानून के जरिए केवल छल-कपट के जरिये धर्मांतरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है।