पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए दो तरह के मॉडल तैयार किए गए हैं। जिसे लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से अगले हफ्ते एक समिट का आयोजन किया जाने वाला है। इसमें प्रदेश सरकार और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों के बीच पीपीपी मॉडल के दोनों मॉडलों पर चर्चा होनी है। अगर किसी जिले के लिए दो या इससे अधिक कॉरपोरेट अस्पताल अपनी इच्छा जताएँगे वहां के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी। प्रदेश सरकार इस कोशिश में है कि 2022 की विधानसभा चुनाव से पहले इन अस्पतालों की नींव पड़ जाए।
जब तक सरकार देगी पैसा, ओपीडी रहेगी फ्री जिला अस्पताल का अधिग्रहण करने पर वहां मरीजों से ओपीडी की फीस नहीं ली जाएगी। भर्ती करने पर मौजूदा बेड पर निःशुल्क, विकसित किए गए बेड पर 20 फीसदी शुल्क और उन रोगियों के लिए जिन्होंने हेल्थ इंश्योरेंस कर रखा है उनका कंपनी के अनुसार भुगतान होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रम पहले की तरह चलेंगे। जब तक केंद्र व राज्य सरकार वित्त पोषित करेगी, तब तक जाँच सुविधाएँ निशुल्क रहेंगी। बाद में केजीएमूय से कम दर पर जाँच सुविधाएँ दी जाएँगी।
ये हैं वो 16 पिछड़े जिले बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, संभल, संतकबीरनगर, शामली, श्रावस्ती सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा किडनी रोगियों को भी प्रदेश सरकार सुविधा देने जा रही है। नवंबर के अंत तक प्रदेश के सभी जिला अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा मुफ्त में मिलेगी। अभी तक प्रदेश में 51 जिलों के सरकारी जिलों में ही डायलिसिस की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है जबकि 24 जिले ऐसे हैं जहाँ सरकारी अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इन सभी जिलों के सरकारी अस्पताल में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट स्थापित की जा रही है।