प्रमुख सचिव ने जारी किये निर्देश शासन से अफसरों को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि प्राइवेट प्रैक्टिस के सम्बन्ध में संशोधित नियमावली के बाद राजकीय एलोपैथिक डाक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली के 1956 की धारा 3 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले हाईकोर्ट सरकारी डाक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध को वैध ठहरा चुका है। प्रादेशिक चिकित्सा सेवा संवर्ग के समस्त पद नॉन प्रैक्टिसिंग कर दिए गए हैं। पत्र में बताया गया है कि शासन के निर्देश के बावजूद पीएमएस संवर्ग एक डाक्टरों के खिलाफ लगातार प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतें सामने आ रही थीं। डाक्टरों के इस आचरण को लेकर सरकार ने सख्ती दिखाई है और अब ऐसे डाक्टरों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।
सम्बंधित नर्सिंग होम का लाइसेंस होगा कैंसिल अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जनपद स्तर पर गठित सतर्कता समिति की त्रैमासिक बैठक कराई जाए और डाक्टरों के खिलाफ आने वाली प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतों पर कार्रवाई की जाये। प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक के लिए नियमों के प्रचार-प्रसार से सम्बंधित होर्डिंग्स लगाए जाये। प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त डाक्टरों के खिलाफ कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई करने के साथ ही उन नर्सिंग होम के लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनमें सरकारी डाक्टर प्रैक्टिस करते हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों से प्रैक्टिस बंदी भत्ते की वसूली और प्राइवेट प्रैक्टिस से अर्जित आय की जांच कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे डाक्टरों के रजिस्ट्रेशन को रद्द करने के लिए एमसीआई को भी सूचना भेजी जाए।