पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जल निगम के मुख्य अभियंता (लखनऊ जोन) एके जिंदल ने बताया कि अभी लखनऊ में इसे पायलट प्रोजक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की रिपोर्ट आने के बाद इसे प्रदेश भर में लागू किया जाएगा। नदियों के अलावा सीवेज ट्रीटमेंट, गंदे नाले भी इसके जरिए साफ किए जाएंगे। उनके मुताबिक सरकार गंदे पानी को साफ करने के प्रयास में जुटी है, जल निगम इसी प्रयास को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। अब विदेशी तकनीक के माध्यम से लोगों तक साफ पानी पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। दरअसल इस तकनीक में एनजाइम(किण्वक) के जरिए गंदे पानी को साफ किया जाता है।
लखनऊ में किया गया पहला प्रयोग इस तकनीन का पहले प्रयोग बुधवार को मनकामेश्वर मंदिर के सामने स्थित नाले पर किया। इसमें कुछ मशीनों और गुड बैक्टीरिया के साथ नाले का गंदा, मलयुक्त पानी कुछ ही मिनटों में साफ और स्वच्छ हो गया । इस प्रयोग के लिए नाले के पानी को रोककर उसमें विशेष तरह की मशीनें लगाई गयी हैं जो पूरी गंदगी को तोड़ फोड़कड़ कर एक एक बैक्टीरिया के साथ मिलकर तुरंत स्वच्छ कर देती हैं और नाले का पानी एकदम साफ होकर नदी में प्रवाहित हो जाता है। यह प्रयोग अभी फिलहाल गोमती नदी की सफाई के लिए एक एसटीपी पर किया जा रहा है। जो प्रमाणित होने के बाद जल निगम के साथ मिलकर अन्य जगहों पर किया जाएगा।
बुधवार को इस प्रयोग के दौरान प्रमुख सचिव जल निगम मनोज कुमार सिंह, मैनेजिंग डायरेक्टर जल निगम ए के श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर गंगा अजय रस्तोगी, अनिल कुमार जिंदल चीफ इंजीनियर लखनऊ, जीएम लखनऊ एस के गुप्ता, सौरभ श्रीवास्तव प्रोजेक्ट मैनेजर गोमती, पी के पुंडीर प्रोजेक्ट इंजीनियर गोमती, अंजू वर्मा असिस्टेंट प्रोजेक्ट इंजीनियर गोमती और अन्य ने निरीक्षण किया। इस प्रोजेक्ट के दीर्घकालिक परिणामों को लेकर चर्चा हुई।
कई देशों को हुआ है लाभ कंपनी के चेयरमेन स्टीवन पैडिगो ने बताया कि आगामी कुंभ में नदी को स्वच्छ रखने के लिए यह प्रयोग मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह कंपनी दुनिया के 102 देशों में 42 हजार से अधिक नालें और नदियों की सफाई के प्रोजेक्टस को(अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जैम्बिया, मैक्सिको, नाइजीरिया आदि में) मूर्त रूप दे रही है। कंपनी का दावा है कि कैमिकल के द्वारा ही गंदगी को कार्बन डाई ऑक्साइड और पानी में बदल कर गंदगी को जाने से रोकती है।
सात नालों का पानी अब नहीं गिरेगा गोमती में गोमती नदी को साफ रखने के लिए जल निगम ने नालों के पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाने और सफाई के बाद गोमती में गिराए जाने की योजना बनाई है। इसके लिए एलडीए से नालों के आसपास जमीन उपलब्ध करवाने की मांग की है। उम्मीद है कि जमीन मिलने के साथ ही जल्द ही काम शुरू करवा दिया जाएगा।जल निगम के मुताबिक शहर में 720 एमएलडी सीवर और गंदा पानी निकल रहा है। हालांकि राजधानी में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों से केवल 401 एमएलडी पानीही साफ हो पा रहा है। शहर में पुराने 26 नालों में 22 का गंदा पानी भरवारा और 4 का दौलतगंज एसटीपी में साफ करने के बाद गोमती में छोड़ा जा रहा है। ऐसे में नए बने सात नालों का पानी भी साफ करने के बाद गोमती में छोड़े जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जल निगम के अफसरों के मुताबिक इसके लिए एलडीए को पत्र लिखा जा चुका है।