सात चरणों में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। पहले चरण 11 अप्रैल को और अंतिम चरण व सातवें चरण में 19 मई को मतदान हुआ। प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 63 सामान्य वर्ग की और 17 सीटें आरक्षित वर्गों के लिए हैं। यूपी में इस बार चुनाव राष्ट्रवाद, ईवीएम और रोजगार के मुद्दों पर लड़ा गया। क्षेत्रीय व जरूरी मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान विवादित बयान ही मीडिया की सुर्खियां बनते रहे। राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, डिम्पल यादव, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, मेनका गांधी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, पूर्व मंत्री आजम खान, जया प्रदा, हेमामालिनी, रालोद अध्यक्ष अजित सिंह, जयंत चौधरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय सहित कई दिग्गजों की किस्मत का आज फैसला होगा। इस बार राज्य सरकार के चार मंत्री चुनाव मैदान में हैं। इनमें रीता बहुगुणा जोशी, मुकुट बिहारी वर्मा, सत्यदेव पचौरी और एसपी सिंह बघेल ने लोकसभा चुनाव लड़ा।
करीब 20 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में इस बार 14.5 करोड़ मतदाता थे। इनमें 7.7 करोड़ पुरुष मतदाता, 6.3 करोड़ महिला मतदाता और 6,983 मतदाता थर्ड जेंडर हैं। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 63.26, दूसरे चरण में 62.39, तीसरे चरण में 61.42, चौथे चरण में 59.11, पांचवें चरण में 58, छठे चरण में 54.74 और सातवें चरण में 58.01 फीसदी वोट पड़े। 17वीं लोकसभा चुनाव के लिए इस बार कुल 59.56 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
973 कैंडिडेट चुनाव मैदान में
17वीं लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तर प्रदेश से कुल 973 कैंडिडेट चुनाव मैदान में थे। इनमें पहले चरण में 96, दूसरे चरण में 85, तीसरे चरण में 114, चौथे चरण में 152, पांचवें चरण में 182, छठे चरण में 177 और सातवें चरण में 167 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
17वीं लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तर प्रदेश से कुल 973 कैंडिडेट चुनाव मैदान में थे। इनमें पहले चरण में 96, दूसरे चरण में 85, तीसरे चरण में 114, चौथे चरण में 152, पांचवें चरण में 182, छठे चरण में 177 और सातवें चरण में 167 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
गोपनीयता भंग होने पर जेल
निर्वाचन आयोग ने मतगणना शुरू होने से पहले सहायक निर्वाचन अफसरों को जिम्मेदारी दी है कि वह मतगणना शुरू होने से कक्ष में मौजूद सभी मतगणना अधिकारियों, अभिकर्ताओं और कर्मियों को निर्देशित करें कि कोई भी मतदान की गोपनीयता भंग न करे। ऐसे करने पर आरोपित को तीन माह की जेल हो सकती है।
निर्वाचन आयोग ने मतगणना शुरू होने से पहले सहायक निर्वाचन अफसरों को जिम्मेदारी दी है कि वह मतगणना शुरू होने से कक्ष में मौजूद सभी मतगणना अधिकारियों, अभिकर्ताओं और कर्मियों को निर्देशित करें कि कोई भी मतदान की गोपनीयता भंग न करे। ऐसे करने पर आरोपित को तीन माह की जेल हो सकती है।