एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार चुने गये 77 फीसदी (71) सांसद स्नातक हैं, वहीं 20 फीसदी (16) सांसदों की शैक्षिणिक योग्यता 8वीं से 12वीं तक है। इसके अलावा इस बार यूपी के मतदाताओं ने युवाओं से ज्यादा उम्रदराज प्रत्याशियों को वोट देना पसंद किया है। चुने गये सांसदों में से 25 से 50 वर्ष की आयु के महज 27 और 51 से 80 वर्ष वाले सांसदों की संख्या 51 है। इनमें एक सांसद ने तो अपनी उम्र 80 वर्ष से भी अधिक घोषित की है। 17वीं लोकसभा में महज 13 फीसदी यानी 10 महिला सांसद चुनाव जीती हैं।
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56 फीसदी सांसदों का आपराधिक रिकॉर्डएडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार जनता ने 56 फीसदी ऐसे सांसदों को चुना है, जिन पर आपराधिक और गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जो पिछली बार की तुलना में काफी ज्यादा हैं। 17वीं लोकसभा में 56 फीसद यानी 44 सांसदों ने खुद पर आपराधिक मामले घोषित किये हैं, जबकि वर्ष 2014 में 35 फीसदी यानी 28 सांसदों ने खुद पर आपराधिक मामले घोषित किये थे। आपराधिक मामलों में रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते सपा नेता आजम खां टॉप पर हैं, दूसरे नंबर पर घोषी से बसपा सांसद अतुल सिंह और तीसरे नंबर पर उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज हैं।
यूपी में 17वीं लोकसभा का हाल
17वीं लोकसभा के लिए यूपी में सात चरणों में चुनाव हुआ था। पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को और सातवें व अंतिम चरण का मतदान 19 मई को हुआ। 23 मई को आये चुनाव परिणाम में यूपी में भाजपा को 62, बहुजन समाज पार्टी को 10, समाजवादी पार्टी को 5, अपना दल को 2 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। सूबे में सपा-बसपा और रालोद ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। 2014 में भाजपा ने 71, सपा को 5, कांग्रेस और अपना दल को 2-2 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में खाता नहीं खोल सकने वाली बसपा ने इस चुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल की।
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