ये भी पढ़ें- UP Panchayat Election result: इटावा में पति ने जीता प्रधानी का चुनाव, लेकिन नतीजे आने से पहले हुई पत्नी की मौत सूची में विवरण शामिल- सूची में शिक्षकों के नाम, कर्मचारी संख्या और अन्य विवरण शामिल हैं। संघ ने कहा कि सबसे ज्यादा मौतें मई में हुईं। अप्रैल के अंत तक, पंचायत चुनावों के चौथे और अंतिम दौर के बाद यूपी में यूनियनों ने मृत शिक्षकों की संख्या 706 बताई थी। उन्होंने राज्य सरकार से मतगणना स्थगित करने की अपील भी की थी, क्योंकि इस बात की पूरी आशंका थी कि कोरोना का संक्रमण फैलेगा, जो आगे और अधिक मौतों का कारण बनेगा।
तीन दिन तक चली मतगणना- मतगणना दोबारा कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने राज्य चुनाव आयोग के आश्वासन के बाद प्रक्रिया को रोकने से इनकार करते हुए मतगणना को प्रोटोकॉल के अनुसार करवाने का आदेश दिया था। मतगणना तब तीन दिनों तक चली थी। इस दौरान हजारों लोगों ने एक साथ काम किया। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई। अधिकतर लोग बिना मास्क के भी देखे गए थे।
ये भी पढ़ें- यूपी पंचायत चुनाव नतीजे आने के बाद ग्रामीणों की आंखें हुई नम, विजयी प्रत्याशी नहीं रहे जीवित “और बढ़ सकती है संख्या”- एक अन्य शिक्षक संघ के नेता, जो आरएसएस से संबद्ध है, ने नए आंकड़ो की पुष्टि की है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा ने कहा कि मृतकों की संख्या 1,600 से भी अधिक हो सकती है। राज्य सरकार ने अपनी ओर से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) से ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर उन्हें भेजने को कहा है। बीएसए अभी तक सभी मृतकों की सूची नहीं बना पाए हैं।
राजनेताओं का नहीं आया बयान-
प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने बताया कि हमने मरने वाले शिक्षकों के परिजनों के नाम और संपर्क नंबर साझा किए हैं। सीएम अपने कार्यालय में बैठकर डाटा वेरिफाई करवा सकते हैं। कई बच्चे अब अनाथ हो गए हैं। कई महिलाएं विधवा हैं, लेकिन उनके लिए किसी सरकारी अधिकारी या राजनेता की ओर से एक भी शब्द नहीं बोला गया है।