यूपी में इस बार होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में सीटों के आरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने तस्वीर साफ कर दी है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने आरक्षण तय करने के लिए 2015 के पंचायत चुनाव में तत्कालीन सपा सरकार के फैसले को पलट दिया है
पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज, सभी जिलों में एक समान लागू होगा चक्रानुक्रम आरक्षण
पत्रिका न्यूज नेटवर्क लखनऊ. यूपी में इस बार होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में सीटों के आरक्षण को लेकर राज्य सरकार ने तस्वीर साफ कर दी है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने आरक्षण तय करने के लिए 2015 के पंचायत चुनाव में तत्कालीन सपा सरकार के फैसले को पलट दिया है। यूपी के अब सभी 75 जिलों में एक समान आरक्षण लागू होगा। इससे कोई भी जातिगत आरक्षण से वंचित नहीं रह जाएगा। हालांकि, पंचायती राज नियमवाली से संशोधन की दो धाराएं हटा दी गई हैं। साल 2011 की जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को पहली वरीयता दी जाएगी। इनकी आबादी न होने पर अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण में वरीयता दी जाएगी।
आरक्षण और आवंटन संबंधी 11वां संशोधन लाकर योगी सरकार ने अखिलेश सरकार द्वारा 2015 में लाया गया 10वां संशोधन समाप्त कर दिया है। अखिलेश सरकार ने 10वें संशोधन के तहत व्यवस्था की थी कि जहां पंचायतों का पुनर्गठन किया जाएगा, वहां आरक्षण के रोटेशन को शून्य मानते हुए नए सिरे से आरक्षण निर्धारित किया जाएगा। सपा सरकार ने नियमवाली 1994 में संशोधन करते हुए ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत के सदस्य के पदों के लिए पूर्व में हुए आरक्षण शून्य कर दिया था। तब 71 जिलों में ग्राम पंचायत का पुनर्गठन हो गया था मगर चार जिलों (गोंडा, संभल, मुरादाबाद और गौतमबुद्धनगर) में यह पुनर्गठन नहीं हो पाया था। कानूनी अड़चनों की वजह से इन जिलों में पुनर्गठन नहीं हो पाया था।
नियमवाली के यह प्रावधान अभी तक लागू भी थे, जिस वजह से इन चार जिलों में रोटेशन को शून्य मानते हुए नए सिरे से आरक्षण तय करना पड़ता था। जबकि बाकि के 71 जिलों में सामान तौर पर आरक्षण लागू होता था। इससे ऐसी कई पंचायतें बची रह जाती थीं जिन्हें न तो ओबीसी के लिए आरक्षित किया गया और न ही अनूसुचित जाति के लिए। ऐसे में सभी प्रावधानों को नियमवाली से हटाते हुए योगी सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये यह फैसला सुनाया है। अब आरक्षण का जो नया फार्मूला लागू होगा वह सभी 75 जिलों में एक समान होगा।
इस तरह तय होगा आरक्षण प्रदेश सरकार ने तय किया है कि इस बार चुनावी आरक्षण की नई व्यवस्था इस बात को ध्यान में रखकर तय की जाए कि वर्ष 1995 से अब तक के पांच चुनावों में कौन सी पंचायतें अनुसूचित जाति (एससी) व अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित नहीं हो पाईं। प्रदेश सरकार ने कह है कि इन पंचायतों में इस बार प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए। नए फैसले के तहत जो पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित रहीं वह अब एससी के लिए आरक्षित होंगी। इसी तरह जो पंचायतें एससी के लिए आरक्षित रहीं वहां ओबीसी का आरक्षण होगा। इसके बाद जो पंचायतें बचेंगी, वह आबादी के घटते अनुपात में चक्रानुक्रम के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए होंगी।
30 अप्रैल तक चुनाव कराने का आदेश पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग व यूपी सरकार को 30 अप्रैल तक चुनाव कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि ज्यादा विलंब नहीं होना चाहिए। 30 अप्रैल तक चुनाव करा लिए जाएं ताकि 15 मई तक सभी पंचायतों का गठन किया जा सके। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव के साथ-साथ जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव भी 15 मई तक करा लिए जाएं।