रिमोट एक्सेस टूल से लीक किया गया पेपर
आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में दरोगा (पुरूष/महिला) भर्ती 2016 के लिए 7 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 97 परीक्षा केंद्रों पर ऑनलाइन एक्जाम होने थे। इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने मुंबई की एनएसईआईटी कंपनी को ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए कॉन्ट्रेक्ट दिया था। इस कंपनी ने आगरा के ओम ग्रप ऑफ इंस्टीट्यूशन से इस परीक्षा को प्रदेश में संपन्न कराने के लिए अनुबंध किया। लेकिन इस कंपनी से जुड़े गौरव, बलराम. पुष्पेन्द्र व अन्य ने सेंटरो पर सांठ-गांठ कर ऑनलाइन पेपर लीक करने में मदद की।
इन लोगों ने लगभग सभी परीक्षा केंद्र के परीक्षा संचालक, आईटी हेड व इनविजीलेटर से सांठ-गांठ कर एग्जाम में यूज होने वाले कम्प्यूटर टर्मिनल्स पर “रिमोट एक्सेस टूल” इंस्टॉल कर दिया था। उसके बाद उनका यूजर आई.डी व पास वर्ल्ड वॉट्सएप व अन्य तरीकों से गिरोह के सरगना तक पहुंचा दिया गया। पेपर सॉल्वरों ने अभ्यर्थी के टर्मिनल को ऑन लाइन एक्सेस करते हुए उनके सिस्टम पर दूर से बैठकर ही उनके पेपर में जवाब दे दिए।
ऑन लाइन के साथ ऑफ लाइन भी लीक हुआ पेपर
एसटीएफ के मुताबिक यूपी पुलिस की उपनिरीक्षक भर्ती पेपर एनएसईआईटी कंपनी के लोकल सर्वर को हैक करके लीक किया गया। लेकिन इसके आलावा पेपर को ऑन लाइन प्राप्त करने के बाद ऑफ लाइन भी पैसे देने वाले अभ्यर्थियों तक पहुंचाया गया। एसटीएफ के मुताबिक गिरफ्त में आए एक आरोपी के पास ऑनलाइन परीक्षा से चार घंटे पहले ही पेपर पहुंच गया था।
पेपर लीक करने वाले आरोपी के भाई की कंपनी को दिया जिम्मा
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए एनएसईआईटी कंपनी से अनुबंध किया था। लेकिन इस कंपनी ने आगरा की ओम ग्रप ऑफ इंस्टीट्यूशन को ठेका दे दिया। एसटीएफ के मुताबिक यह इंस्टीट्यूशन गौरव आनंद का है, जिसका भाई सौरभ जाखड़ पूर्व में ऑनलाइन रेलवे परीक्षा में धोखाधड़ी करने का आरोपी है। फिलहाल वह हत्या के आरोप में पलवल जिला जेल में बंद हैं।
बोर्ड पर खड़े हुए सवाल, क्यों नहीं की पड़ताल
सूत्रों के मुताबिक सौरभ जाखड़ ने भाई गौरव के साथ मिलकर इस परीक्षा का पेपर लीक करने की योजना बनाई थी। इनसे जुड़ा गिरोह रेलवे सहित देश भर में कई परीक्षाओं का पेपर लीक कर चुका है। यूपी पुलिस उपनिरीक्षक परीक्षा के पेपर लीक होने का खुलासा होने से पहले ही हत्या के आरोप जेल भेज दिया गया। लेकिन इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड व एनएसईआईटी ने इस कंपनी के इतिहास के बारे में पड़ताल करने की जहमत नहीं उठाई। ऐसे में बोर्ड से जुड़े कुछ लोगों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ सकती है।
कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से कतरा रही एसटीएफ
एसएटीएफ के मुताबिक परीक्षा आयोजित कराने वाली कंपनी द्वारा इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी पॉलिसी के निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया। साथ ही परीक्षा में ऑनलाइन सिक्योरिटी के मूलभूत सिद्धान्तों जैसे फिजिकल, एडमिनिस्ट्रेटिव व टेक्निकल काउंटर मेजर्स की अनदेखी की गई। लेकिन आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने कंपनी पर केस दर्ज कर जांच करने की बात से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि एसटीएफ महज मामले की जांच कर रही है। दबी जुबान में इशारा किया गया कि इस मामले में एसटीएफ केस दर्ज करने की स्थिति में नहीं है। वहीं बोर्ड के कुछ लोगों की मिली भगत होने की आशंका पर भी उन्होंने कोई उचित जवाब नहीं दिया।