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लखनऊ

…जब बेनी प्रसाद वर्मा ने दोस्त मुलायम के लिए छोड़ दी थी मुख्यमंत्री की कुर्सी

– समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ व संस्थापक सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया- शनिवार को बाराबंकी में बेनी प्रसाद वर्मा का अंतिम संस्कार किया जाएगा

लखनऊMar 28, 2020 / 05:48 pm

Hariom Dwivedi

up political leader Beni Prasad verma

अक्खड़ स्वभाव और कड़क मिजाज स्वभाव के बावजूद बेनी प्रसाद वर्मा बाबू जी के नाम से लोकप्रिय थे

लखनऊ. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ व संस्थापक सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा का शुक्रवार को निधन हो गया। बाराबंकी में शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेनी बाबू के पार्थिव शरीर के अन्तिम दर्शनों के लिए आतुर भी थे, मगर जिला प्रशासन ने वर्तमान परिस्थितियों को देख कर लोगों से अपने घरों में रहकर ही बेनी बाबू की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करने की अपील की। जिसका असर देखने को भी मिला और जहां अन्तिम दर्शनों के लिए सड़कें जाम हो जानी चाहिए थी, वहां लोगों का आना तो रहा मगर भीड़ इकट्ठा नहीं हो पाई। अक्खड़ स्वभाव और कड़क मिजाज स्वभाव के बावजूद बेनी प्रसाद वर्मा बाबू जी के नाम से लोकप्रिय थे। शायद ही कोई उस राजनीतिक घटना को भुला पाये, जब बेनी प्रसाद वर्मा ने दोस्त मुलायम सिंह यादव के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी।
राजनीति के मंझे खिलाड़ी बेनी बाबू यारों के यार थे। चर्चा के दौरान कई बार उन्होंने खुद जिक्र करते हुए बताया कि वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव और अजित सिंह के बीच उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए लाया गया तो उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि मुलायम मेरे मित्र हैं, मैंने उनका नाम प्रस्तावित किया है और वही मुख्यमंत्री बनेंगे। अपने जन्मदिन पर 11 फरवरी को बेनी प्रसाद वर्मा आखिरी बार सावर्जनिक मंच पर आये थे।
राजनीति के कद्दावर नेता के रूप में कई दशक तक सक्रिय रहे बेनी प्रसाद वर्मा का जन्म बाराबंकी जनपद के सिरौली गौसपुर गांव में हुआ था। प्रदेश और देश की राजनीति में मंत्री रह चुके बेनी वर्मा की कार्यशैली के सभी कायल थे। वह जिस विभाग के मंत्री बने उसका काम जिले में अभी भी दिखता है। राज्य सरकार में कारागार मंत्री का पद हो या फिर लोक निर्माण, वित्त और संसदीय कार्यमंत्री का कार्यकाल या फिर संचार और कोयला मंत्री के रूप में केंद्र सरकार में उनका दौर, उनकी कार्यशैली के सभी कायल थे।
बेनी के खिलाफ मुलायम ने कभी एक शब्द भी नहीं बोला
उपेक्षा से नाराज होकर बेनी प्रसाद वर्मा ने राष्ट्रीय क्रांति दल नाम से अपनी पार्टी बनाई और पूरे प्रदेश में चुनाव लड़ाया। पार्टी प्रत्याशियों की हार के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गये। कांग्रेस में वह न केवल सांसद बने, केन्द्रीय मंत्री का पद भी उन्हें मिला। कुछ दिन कांग्रेस में रहने के बाद वह फिर से समाजवादी पार्टी में लौट आये। मुलायम और बेनी की दोस्ती ऐसी रही कि मुलायम सिंह ने यादव ने कभी भी बेनी बाबू के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला। पार्टी में फिर से वापसी पर उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया।

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