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लखनऊ

सीएएः संपत्ति के नुकसान की वसूली के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, रद करने की मांग

दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि वसूली का नोटिस उन लोगों को जारी किया गया है जो इस दुनिया में है ही नहीं.

लखनऊJan 25, 2020 / 04:31 pm

Abhishek Gupta

लखनऊ. सीएम योगी जहां खुले मंच से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली करने का ऐलान कर रहे हैं, तो वहीं सुप्रीम कोर्ट में उनके इस फैसले को चुनौती दे दी गई है। दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि वसूली का नोटिस उन लोगों को जारी किया गया है जो इस दुनिया में है ही नहीं। साथ ही वह, जिनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज ही नहीं है।
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याचिकाकर्ता परवेज आरिफ ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार के फैसले का गलत बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग की है। साथ ही यूपी में हुई हिंसक घटनाओं की न्यायिक जांच कराने की भी मांग की है। याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी। आपको बता दें कि बीते वर्ष 19 दिसंबर को यूपी के कई जिलों में सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ था। जिसमें करोड़ो रुपए की सार्वजनिक व निजि संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया था। इसमें केवल लखनऊ में 4.55 करोड़ का नुकसान हुआ था। वहीं प्रदेश भर के करीब 500 लोगों को किया गया चिन्हित कर नोटिस भेजा गया था।
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मृत लोगों को भेजे गए नोटिस-

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यूपी में एक व्यक्ति के खिलाफ भेदभावपूर्ण तरीके से नोटिस जारी किया गया है। जिसके नाम से नोटिस भेजा गया है उसकी छह साल पूर्व 94 वर्ष की उम्र में ही मौत हो चुकी है। वहीं जिन दो अन्य लोगों को नोटिस भेजा गया है वह 90 वर्ष से ज्यादा की उम्र के हैं। शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ के सामने सुनवाई के लिए याचिका सूचीबद्ध की गई थी। पीठ के नहीं बैठने से याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी। मामले में याची वकील परवेज आरिफ टीटू ने नोटिसों पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दावा किया है कि ये उन लोगों को भेजे गए हैं जिनके खिलाफ किसी भी दंड प्रावधान के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है और उनके खिलाफ न तो एफआइआर दर्ज की गई है और न ही आपराधिक मामला बनाया गया है।

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