योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था कि भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रतिवर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर तक का भरांक मिलेगा। वहीं इस पर शिक्षामित्र संगठनों के नेताओं का कहना है कि उन्होंने भर्तियां होने तक मानदेय बढ़ाने की मांग की, लेकिन शासन ने साफ कह दिया कि फिलहाल 10 हजार रुपए प्रतिमाह से अधिक मानदेय नहीं दिया जा सकता। तब तक उन्हें यह सुविधा दी जा सकती है कि वे या तो मूल विद्यालयों में पढ़ाएं या जहां अभी कार्यरत हैं वहीं रहें।
योगी सरकार के रूख से शिक्षामित्र भी हैरान हैं अब वे आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं। अब उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि शासन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है। वहीं संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित और संरक्षक दुष्यंत चौहान का कहना है कि सरकार कानून बना कर शिक्षामित्रों को राहत दे सकती है, लेकिन इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। इसलिए 17 अगस्त को उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख से अधिक Shiksha Mitra राजधानी में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्रों के इस रूख से सरकार की भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। शिक्षामित्र भी अब पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने को तैयार नहीं है। इसलिए हम आंदोलन करने को मजबूर हैं।