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लखनऊ

दिलचस्प है यूपी की इस विधानसभा सीट का इतिहास, उपचुनाव में जीत के लिए पार्टियों ने झोंकी ताकत

– यूपी की इस सीट पर कभी नहीं खुला सपा-बसपा का खाता, कांग्रेस-बीजेपी में रही कांटे की टक्कर
– उत्तर प्रदेश की 13 विधानसभा सीटों पर होने हैं उपचुनाव- लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर बसपा और कांग्रेस ने घोषित किया प्रत्याशी

लखनऊSep 10, 2019 / 04:27 pm

Hariom Dwivedi

UP Vidhansabha upchunav

कैंट विधानसभा सीट पर ज्यादातर ब्राह्मण प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव (UP Vidhansabha upchunav) होने हैं। इनमें से एक हमीरपुर विस (Hamirpur) सीट है, जहां से बीजेपी विधायक रहे अशोक सिंह चंदेल को अयोग्य घोषित करार दिया गया है। हत्या के एक पुराने मामले में दोष सिद्ध होने के बाद वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। एक और घोषी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, जहां से विधायक चुने गये फागू सिंह चौहान (Fagu Singh Chauhan) को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है। इसके अलावा 11 सीटें विधायकों के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई हैं। इनमें से एक सीट लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट है। 2017 में कैंट सीट से विधायक चुनी गईं रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) अब इलाहाबाद से सांसदी जीतकर लोकसभा पहुंच चुकी हैं।
कांग्रेस-बसपा ने घोषित किया प्रत्याशी
कैंट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस और बसपा ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह को पार्टी उम्मीदवार बनाया है, वहीं अरुण द्विवेदी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बनाकर ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला है। सपा और बीजेपी ने अभी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान नहीं किया है। कैंट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में अपर्णा यादव फिर से सपा कैंडि़डेट हो सकती हैं, वही बीजेपी में कैंडिडेट घोषित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में चल रही है। अपर्णा लेकर चर्चा है कि लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से वह बीजेपी प्रत्याशी हो सकती हैं।
लखनऊ कैंट विधानसभा सीट (Lucknow Cantt Vidhansabha seat) पर सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र से 6 बार चुनाव जीतने में सफल रही है। जनता पार्टी (1977), भारतीय क्रांति दल (1969) और निर्दलीय उम्मीदवार एक-एक बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं, लेकिन कैंट विधानसभा सीट पर सपा-बसपा का कभी खाता नहीं खुल सका।
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ब्राह्मण प्रत्याशियों का रहा दबदबा
कैंट विधानसभा सीट पर ज्यादातर ब्राह्मण प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है। इस सीट पर सबसे ज्यादा 11 बार ब्राह्मण प्रत्याशियों ने ही बाजी मारी है। यहां सबसे ज्यादा तीन-तीन बार कांग्रेस की प्रेमवती तिवारी (1980-85-89)और बीजेपी के सुरेश चंद्र तिवारी (1996-02-07) चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। दो बार रीता बहुगुणा जोशी भी इस सीट से चुनाव जीती हैं। 2012 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गई, वहीं 2017 में वह बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं।

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2017 विस चुनाव परिणाम
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुईं रीता बहुगुणा जोशी जीतने में सफल रहीं। उन्हें 95402 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा प्रत्य़ाशी अपर्णा यादव रहीं। उन्हें 61606 वोट मिले। 26 हजार वोट पाकर बसपा प्रत्याशी योगेश दीक्षित तीसरे नंबर पर रहे।

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