लखनऊ

पशोपेश में Yogi Adityanath Sarkar, प्रशासनिक पद छोड़ने को डॉक्टर नहीं तैयार

चिकित्सकों ने कहा- सेवा के लिए मर सकते हैं, लेकिन सम्मान के लिए त्याग नहीं, अस्पतालों के एमबीए प्रबंधक रखने के प्रस्ताव के विरोध में Yogi Adityanath Sarkar को लिखा खत

लखनऊJun 10, 2021 / 04:53 pm

Hariom Dwivedi

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के एक प्रस्ताव को लेकर उप्र के सरकारी चिकित्सक और सरकार आमने-सामने हैं। चिकित्सकों को लगता है कि योगी सरकार उनके अधिकारों में कटौती करने जा रही है, इसलिए चिकित्सक लामबंद हो रहे हैं। उनका कहना है कि सेवा के लिए वे मर सकते हैं लेकिन सम्मान के लिए त्याग नहीं कर सकते। मामला चिकित्सकों के प्रशासनिक अधिकार से जुड़ा है। बीते दिनों डॉक्टरों की ड्यूटी को लेकर एक आदेश जारी हुआ जिसमें कहा गया कि डॉक्टरों से अब केवल क्लीनिकल और मेडिकल ड्यूटी ही करवायी जाएगी। अस्पतालों के प्रबंधकीय कार्य के लिए एमबीए डिग्री धारक युवाओं की नियुक्ति की होगी।
उत्तर प्रदेश प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ (UPPMSA) ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उच्चाधिकारियों को पत्र व मेल भेजकर कहा है कि मरीजों की सेवा के लिए डॉक्टर चाहिए, न कि प्रबंधक। डॉक्टरों का कहना है कि उनके लिए किसी गैर तकनीकी प्रमुख के तहत काम करना मुश्किल होगा। वे सेवा के लिए मरने को तैयार हैं, लेकिन सम्मान का त्याग करने के लिए तैयार नहीं हैं।
सरकार आगे बढ़ी तो हम पीछे नहीं
संघ ने पत्र में लिखा है कि संकट और आपातकालीन स्थितियों का प्रबंधन करने के लिए अनुभवी डॉक्टरों की आवश्यकता होती है, बिजनेसमैन प्रबंधकों की नहीं। सरकार के फैसले को लागू किया जाता है तो चीजें जटिल हो जाएंगी। संघ अध्यक्ष डॉ. एके सिंह एवं महामंत्री डॉ. क्षेत्रपाल यादव की अगुवाई में सोमवार को सदस्यों की ऑनलाइन बैठक हुई। बैठक में डॉक्टरों ने इसे बेसिर-पैर का फरमान बताया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे लागू करेगी तो इसका विरोध किया जाएगा। इसकी रणनीति केन्द्रीय कार्यकारिणी तय करेगी।
यह भी पढ़ें

क्या नासिर कमल बन पाएंगे यूपी के अगले डीजीपी, दौड़ में शामिल हैं ये नौ अफसर



…तो चीजें और बदतर होंगी
उत्तर प्रदेश प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री व उच्चाधिकारियों को लिखे पत्र में इस फैसले पर पुनर्विचार को कहा गया है। कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में डॉक्टरों की जान गई। खराब स्थितियों व कम से कम सुविधाओं में डॉक्टरों ने काम किया और कर रहे हैं, लेकिन गैर-चिकित्सक प्रमुख होगा तो चीजें और बदतर होंगी। चिकित्सकों के पद पर एमबीए व अन्य गैर तकनीकी अधिकारियों की तैनाती चिकित्सकों को हतोत्साहित करेगी। होना तो यह चाहिए कि वर्तमान परिस्थितियों में चिकित्सकों के सेवा भाव को देखते हुए उन्हें और अधिकार देने चाहिए। इस तरह का परिवर्तन सही नहीं है। जिलों में प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी चिकित्सकों का शोषण और अपमान कर रहे हैं।
ऐसे नहीं भरेंगे डॉक्टरों के रिक्त पद
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ. सचिन वैश्य का कहना है कि प्रदेश भर में 24 घंटे सेवाएं देने के लिए 33 हजार विशेषज्ञ चिकित्सक और 14 हजार एमबीबीएस चिकित्सकों चाहिए। गैर चिकित्सक बिजनेसमैन मैनेजर को प्रशासनिक दायित्व सौंपकर इस कमी को दूर नहीं किया जा सकता है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि चिकित्सकों की उपयोगिता के कारण उनकी सेवानिवृत्ति आयु को दो बार बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि सरकार ने चिकित्सकों के सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है, वहीं स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को सेवा से हटा दिया है।
यह भी पढ़ें

तेजी से बदल रहे मानसून के पैटर्न से हरा-भरा हो सकता है थार रेगिस्तान, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से चेरापूंजी में कम हो रही बारिश



‘सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं’
डॉ. अमित सिंह का कहना है कि हमें आवश्यक सेवाओं के रूप में संदर्भित किया जाता है, लेकिन जब सुविधाओं और प्राथमिकता की बात आती है तो हम सीढ़ी के सबसे आखिरी पायदान पर खड़े नजर आते हैं। कोरोना से मरने वाले डॉक्टरों के सिर्फ एक वर्ग को मुआवजा दिया गया जबकि पैरा मेडिकल में अब तक शायद ही किसी को मुआवजा दिया गया है। शहीद डॉक्टरों के परिवार आज भी आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
क्यों नहीं छोडऩा चाहते प्रशासनिक पद
चिकित्सक आखिरकार प्रशासनिक पद क्यों नहीं छोडऩा चाहते? इस सवाल पर खुलकर कोई बात करने को तैयार नहीं है। लेकिन, नाम न छापने की शर्त पर कई चिकित्सक बताते हैं कि दरअसल, ये पद काफी मलाईदार होता है और हर डॉक्टर को उम्मीद होती है कि एक दिन वह इस पर काबिज होगा। लेकिन, प्रशासनिक पदों पर गैर-चिकित्सकों की नियुक्ति के बाद इनका मतलब सिर्फ इलाज से ही रह जाएगा।
प्रशासनिक पद चिकित्सक की नियुक्ति ही सही : सपा प्रवक्ता
पेशे से चिकित्सक व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. आशुतोष वर्मा पटेल ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा डॉक्टरों को फोड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक पद पर एक चिकित्सक की नियुक्ति ही सही है, क्योंकि एक चिकित्सक ही जान सकता है कि ऑपरेशन के बाद डॉक्टर को क्या चाहिए। कितनी रेस्ट मिलेगी। कौन सी मशीन चाहिए न कि कोई गूगल पढ़कर इसे समझ सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकीय व्यवस्था कोई कारपोरेट कंपनी नहीं, जिसमें गोल टार्गेट किए जाएंगे। यह सीधे लोगों की जिंदगी से जुड़े हुआ मुद्दा है। अगर एमबीए वाले ही सब कर सकते हैं तो सरकार में नेताओं की जरूरत नहीं है।
यह भी पढ़ें

तीन चुनाव आयुक्त, तीनों का यूपी से है गहरा नाता, अगले साल उप्र में होने हैं चुनाव



Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.