बिहार में बेचे जा रहे थे यूपी के हथियार
यूपी एटीएस की कानपुर यूनिट को विभिन्न स्रोतों से सूचना प्राप्त हो रही थी कि कानपुर नगर के शस्त्र विक्रेता द्वारा शस्त्र लाइसेन्स निर्गत करने की प्रक्रिया से जुड़े हुए विभिन्न व्यक्तियों के साथ मिलकर बिहार राज्य के फर्जी शस्त्र लाइसेंसों पर अवैध ढंग से दर्जनों शस्त्र विक्रय किया गया है। इस पर 24 मई 2017 को एटीएस के लखनऊ थाने में केस दर्ज़ हुआ था। इस मामले में 25 जुलाई 2017 को एटीएस कानपुर यूनिट ने मुकदमें जुड़े खन्ना आरमरी के मालिक विजय खन्ना, ए.के नियोगी एंड कंपनी के मालिक अमरजीत नियोगी, ए पूर्वाञ्चल गन हाउस के मालिक जैनुल आब्दीन और जय जवान आर्म्स डीलर के मैनेजर राजीव शुक्ला को गिरफतार किया था। बिहार राज्य के फर्जी शस्त्र लाइसेन्स व अन्य कागजों के आधार पर अवैध तरीके से शस्त्रों को मुंगेर निवासी राजकिशोर राय पुत्र चन्द्रदेव राय, उपेंद्र सिंह और अन्य साथियों को विक्रय किया गया था। इसमें उपेंद्र फरार चल रहा था।
अपराधियों और नक्सलियों को बेच रहे थे हथियार
उपेंद्र सिंह ने पूछताछ के दौरान बताया कि वह और राज किशोर राय अपने साथियों व कानपुर के शस्त्र विक्रेताओं के साथ मिलकर षड्यंत्र कर बिहार राज्य के विभिन्न जनपदों के फर्जी शस्त्र लाइसेन्स पर शस्त्र खरीद लेते थे और उन शस्त्रों को बिहार राज्य में अपराधियों व संदिग्ध नक्सलियों को ऊंचे दामों पर बेच देते थे।
लंबे समय से चल रहा था अवैध कारोबार
जांच में सामने आया है कि बिहार राज्य के कुल 29 शस्त्रों की अवैध बिक्री में गिरफ्तार मुलजिमों का पता चला है। गिरफ्तार उपेंद्र सिंह व उसका साथी राजकिशोर राय कई वर्षों से बिहार राज्य के मुंगेर, खगडिया व अन्य जनपदों के फर्जी शस्त्र लाइसेंसों को फर्जी मोहर, हस्ताक्षरए व अभिलेखों के माध्यम से अपने साथियों की मदद से तैयार करता था, फिर कानपुर जनपद आ कर यहाँ के विभिन्न शस्त्र विक्रेताओं के साथ मिलकर अवैध रूप से शस्त्र क्रय कर के ले जाते थे। इस प्रक्रिया के दौरान उसके, राजकिशोर राय और शस्त्र विक्रेताओं व द्वारा अनेकों अनिययमितताएँ की जाती थीं। जैसे बिना टीएल के गैर राज्य शस्त्र विक्रय कर देना, क्रय करने वाले की आईडी न लेना, कथित क्रेता की फर्जी आईडी तैयार कर अभिलेख में लगाना, फर्जी अधिकार पत्र तैयार कर शस्त्र किसी अन्य को विक्रय कर देना, फर्जी एनओसी तैयार करना और फर्जी ट्रेजरी चालान तैयार करना, टीएल की अवधि बार-बार बढ़ाना, धोखाधड़ी से हस्ताक्षर करा लेना।
पूछताछ में पता चला है कि राजकिशोर राय अपने साथियों के साथ गत वर्ष 3 जुलाई 2016 को बिहार एसटीएफ द्वारा फर्जी शस्त्र लाइसेन्स और 10 अवैध शस्त्र के साथ सीवान में पकड़ा गया था।