चार दिसंबर, 2017 को अदालत ने इस परिवाद पर संज्ञान लेते हुए इन सभी को बतौर अभियुक्त आईपीसी की धारा 406, 419, 420 , 467, 468, 471 व 120बी के तहत मुकदमे के विचारण के लिए तलब किया था। लेकिन अभियुक्तों की ओर से निचली अदालत के इस फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी गई थी।
13 नवंबर, 2018 को सत्र अदालत ने इनकी रिवीजन खारिज कर दी। साथ ही निचली अदालत के आदेश को वाजिब मानते हुए अभियुक्तों को 22 नवंबर को निचली अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन इस नियत तिथि पर अभियुक्त्गण निचली अदालत में पेश नहीं हुए।
निचली अदालत का कहना था कि अभियुक्तों को मामले की पूरी जानकारी है। बावजूद इसके हाजिर नहीं हुए। लिहाजा इन सबके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है। मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी।
सुनीता अग्रवाल ने अपने परिवाद में यह आरोप लगाया है कि वर्ष 2011 में अभियुक्तों ने सुशांत गोल्फ सिटी, अंसल एपीआई, सुलतानपुर रोड में गोल्फ न्यू अपार्टमेंट नामक आवासीय योजना लांच किया था। बुकिंग की तारीख से 30 माह के अंदर विकसित व सुसज्जित फ्लैट देने का वचन दिया । परिवादिनी ने अपने नाम से तीन फ्लैट बुक कराए। लेकिन वर्ष 2014 तक इसका कब्जा नहीं मिला। तब आठ माह बाद देने को कहा गया।
यह अवधि बीत जाने के बाद भी कब्जा नहीं मिला। फिर पता करने पर मालुम हुआ कि अभियुक्तों ने कुटरचित दस्तावेजों के आधार पर खुद को संपति का स्वामी बताते हुए फ्लैट का आवंटन किया था। जबकि बुकिंग के समय उनके पास कोई जमीन नहीं थी।
परिवादिनी का यह भी आरोप है कि उसने फ्लैट की बुकिंग के बाद युनियन बैंक, युको बैंक व पंजाब नेशनल बैंक से लोन कराया था। जिसकी किश्तों का भुगतान किया जा रहा है। जबकि अभियुक्तगण न तो फ्लैट का कब्जा और न ही धनराशि ही वापस कर रहे हैं।