सपा-बसपा के साथ आने से गठबंधन के नेताओं को उम्मीद है कि ‘मुस्लिम-दलित’ मतदाताओं से बड़ी उम्मीद है। दूसरे चरण की 8 में से 5 सीटों पर मुस्लिम वोटर्स की तादाद करीब 20 फीसदी है, वहीं तीन सीटों पर दलित-मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 50 फीसदी से ज्यादा है। नगीना में करीब 60 फीसदी, अमरोहा में करीब 55 फीसदी, आगरा और अलीगढ़ में करीब 50 फीसदी दलित और मुस्लिम मतदाता हैं। 8 में चार सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं।
मायावती के लिए इस बार का लोकसभा चुनाव करो या मरो जैसी स्थिति वाली है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटें जीतकर बसपा तीसरे नंबर खिसक गई थी, वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी खाता भी नहीं खुला था। यह चुनाव जीतना मायवाती के लिए बेहद जरूरी है, यह मायावती भी जानती हैं। इसीलिए उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झोंक रखी है। यही कारण है कि पिछले दिनों देवबंद में रैली के दौरान मायावती ने मुस्लिम वोटरों से सीधे-सीधे गठबंधन प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। बयान पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने 48 घंटे तक मायावती के चुनाव प्रचार पर रोक लगा दिया था।
दूसरे चरण में गठबंधन के उम्मीदवार
बहुजन समाज पार्टी
फतेहपुर सीकरी- भगवान शर्मा उर्फ़ गुड्डू पंडित
आगरा (एससी)- मनोज कुमार सोनी
नगीना- (एससी)- गिरीश चन्द्र (बसपा)
अमरोहा- कुंवर दानिश अली
बुलंदशहर (एससी)- योगेश वर्मा
अलीगढ़- अजीत बलियान रालोद
मथुरा- नरेंद्र सिंह
समाजवादी पार्टी
हाथरस- रामजीलाल सुमन