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आखिर क्यों आते हैं यूपी की सियासत में ब्यूरोक्रेट और टेक्नोक्रेट

locationलखनऊPublished: Apr 01, 2019 08:00:38 pm

Submitted by:

Anil kumar

मंत्री के निजी सचिव को भी मिला मौका

moradabad

Lok Sabha Election 2019: इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के आगे भाजपा- कांग्रेस को नहीं मिल पा रहा उम्मीदवार

लखनऊ. यूपी की सियासत में ब्यूरोक्रेट और टेक्नोक्रेट रिटायर होने के बाद पूरी तौर से सक्रिय हो जाते हैं। कई ब्यूरोक्रेट सियासत में सफल हुए तो कई सफलता पाने के लिए नेताओं के आगे लम्बलेट हो रहे हैं। यानीकि पूरी तौर से दंडवत प्रणाम करने की मुद्रा में हैं। यही कारण है कि राजनेता उन्हें चुनाव के मैदान में उतरने का मौका भी दे रहे हैं। इनमें से कई आईएएस, आईएफएस व अन्य सिविल सेवक ऐसे हैं जिन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और उतना कमाल दिखाया जितना वे अपनी नौकरी में नहीं दिखा पाए थे।
पीएल पुनिया, कांग्रेस

हमेशा चर्चा में रहने वाले पूर्व आईएएस पीएल पुनिया ने 2005 में नौकरी छोड़ी और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा गए। उन्हें मंत्री पद का दर्जा देते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जन जाति आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था। पुनिया 2014 में चुनाव हार गए पर राज्यसभा पहुंच गए। पुनिया का नाम 1995 में उछला था, जब मुलायम सिंह की सरकार जाने के बाद मायावती मुख्यमंत्री बनीं और उन्हें अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी बना दिया। इस समय देश में कांग्रेस के बड़े नेता हैं। उनके बेटे को इस बार कांग्रेस ने बाराबंकी से टिकट दिया है।

ईमानदार छवि वाले विजय शंकर पाण्डेय को लोकगठबंधन पार्टी

मायावती सरकार में अपर मुख्य सचिव और केंद्र सरकार में सचिव पद पर तैनात रहे रिटायर आईएएस अधिकारी विजय शंकर पांडे अपनी ही लोकगठबंधन पार्टी से फैजाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके हैं। खास बात यह है कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान विजय शंकर पांडे फैजाबाद के डीएम रह चुके हैं।
मंत्री के निजी सचिव को भी मिला मौका
बसपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निजी सचिव रहे सीएल वर्मा मोहनलालगंज (सुरक्षित) सीट से प्रत्याशी घोषित हुए हैं। क्योंकि बसपा ने उन्हें लोकसभा प्रभारी बनाया है और बसपा में प्रभारी ही बाद में प्रत्याशी होता है। सीएल वर्मा को बसपा शासनकाल में मिनी मंत्री के नाम से भी जाना जाता था। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में ही लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता रहे इंजीनियर टी राम पिछली बार अजगरा (वाराणसी) से विधायक का चुनाव जीते थे। इस बार वे चुनाव हार गए। अब उनको गठबंधन के बसपा कोटे से किसी सुरक्षित लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है।
जहां डीएम थे अब वहीं चुनाव लड़ेंगे रामबहादुर

मायावती के कभी खास अफसरों में गिने जाने वाले रिटायर्ड आईएएस अधिकारी गोंडा की सीट सपा के कोटे में चले जाने के कारण नागरिकता एकता पार्टी से गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। रामबहादुर भी गोंडा के डीएम रह चुके हैं। राम बहादुर 2014 में बसपा से मोहनलालगंज से चुनाव लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके।
राजनीति में ये भी आजमा चुके भाग्य

इन अधिकारियों से पहले रिटायर आईएएस अधिकारी आईपी ऐरन, देवी दयाल, राय सिंह, डॉक्टर ओम पाठक और रिटायर पीसीएस अधिकारी बाबा हरदेव सिंह, रिटायर आईपीएस एसआर दारापुरी, विधानसभा के प्रमुख सचिव आरपी शुक्ला और सीएमओ डॉ पी के राय अपना भाग्य लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में आजमा चुके हैं। डीजी स्तर के आईपीएस अधिकारी सूर्य कुमार शुक्ला ने तो अपनी राजनीतिक मंशा सेवाकाल में ही जता दी थी।
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