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लखनऊ

कानून व्यवस्था के नाम पर बुल्डोजर चलाने वाले सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती, आखिर कैसे रूकेंगे महिला अपराध, पढ़ें रिपोर्ट

यूपी सरकार महिला अपराध पर लगाम कसने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। महिला सुरक्षा के लिए एडीजी महिला एवं बाल विकास सुरक्षा के पद का गठन किया गया है। पीडि़त महिला को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए थानों में पिंक बूथ बनाए गए हैं। टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। कोर्ट में दोषियों को कठोर सजा दिलाने के लिए अभियोजन विभाग को प्रभावी बनाया गया है। इन तमाम प्रयासों से महिला सुरक्षा का माहौल तो बना पर दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग सका। जबकि दोषियों को कड़ा संदेश देने के लिए पिछले पांच वर्षों में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दर्जनों दोषियों को कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाई है।

लखनऊApr 21, 2022 / 07:30 am

Prashant Mishra

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लखनऊ. यूपी में योगी सरकार महिला अपराधों पर रोक के तमाम दावे करती है बावजूद इसके महिलाओं और बच्चियों के साथ हैवानियत की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले वर्ष के आंकड़ों को देखें तो महिला अपराध में इजाफा ही हुआ है। यह स्थिति तब है जब महिला अपराधों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। ताजा मामला कन्नौज का है। यहां एक महिला और उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। शादी का झांसा देकर एक व्यक्ति ने अपने पिता और दोस्त के साथ मिलकर महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यह एकमात्र घटना नहीं है। महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध में करीब 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इनमें से आधे से अधिक मामले यूपी से हैं। एनसीडब्ल्यू के आंकड़ों के मुताबिक 30684 शिकायतों में से 11013 शिकायतें सम्मान के साथ जीने से जुड़ी थीं। इसके बाद घरेलू हिंसा से जुड़े 6333 और दहेज उत्पीडऩ से संबंधित 4589 शिकायतें मिली थीं। यह आंकड़े चार महीने पहले यानी जनवरी 2022 के हैं।
यूपी सरकार के प्रयास नाकाफी

यूपी सरकार महिला अपराध पर लगाम कसने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। महिला सुरक्षा के लिए एडीजी महिला एवं बाल विकास सुरक्षा के पद का गठन किया गया है। पीडि़त महिला को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए थानों में पिंक बूथ बनाए गए हैं। टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। कोर्ट में दोषियों को कठोर सजा दिलाने के लिए अभियोजन विभाग को प्रभावी बनाया गया है। इन तमाम प्रयासों से महिला सुरक्षा का माहौल तो बना पर दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर लगाम नहीं लग सका। जबकि दोषियों को कड़ा संदेश देने के लिए पिछले पांच वर्षों में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दर्जनों दोषियों को कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाई है।
मनोचिकित्सक डॉ. जिलानी ने बताया कि कई बार यह देखा गया है कि महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वाले लोग समाज की मुख्य धारा से बाहर होते हैं। कई बार परिवार या आसपास के लोग ही घटनाओं को अंजाम देते हैं। हम कह सकते हैं कि ये लोग आपराधिक प्रवृत्ति के साथ कुंठित होते हैं। जो महिलाओं व बच्चों के प्रति दूषित भावना रखते हैं।
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पिछले साल सबसे ज्यादा केस यूपी में

राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक, पिछले वर्ष 2021 में देशभर से महिला अपराध की 31 हजार शिकायतें मिलीं। इसमें 15 हजार से ज्यादा मामले सिर्फ यूपी के हैं। वर्ष 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतें 30 प्रतिशत बढ़ी हैं। पिछले साल 1819 शिकायतें छेड़छाड़ की, 1675 शिकायतें दुष्कर्म व कोशिश की, 1537 शिकायतें पुलिस की उदासीनता व 858 शिकायतें साइबर क्राइम की दर्ज की गईं थीं।

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