उत्तर प्रदेश में निकायों और नगर निगमों की संख्या अब बढ़कर 653 हो गई है। पिछले चुनाव के दौरान इनकी संख्या केवल 630 थी। नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के 12 हजार से ज्यादा वार्डों का आरक्षण करने के लिए उत्तर प्रदेश नगर निगम व नगर पालिका नियमावली-1994 बनाकर लागू की गई थी। 2011 में छठवां संशोधन कर वार्डों का आरक्षण, महापौर-अध्यक्ष की तरह चक्रानुक्रम करने का निर्णय किया गया था। 25 अप्रैल को नगर विकास की ओर से सभी जिलाधिकारियों को आरक्षण नियमावली संबंधी दोनों अधिसूचनाओं की प्रति भेजते हुए कहा गया था कि 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डों का परिसीमन किया गया है।
दो दिन पहले नगर विकास विभाग ने 18 सितंबर तक हार्ड व साफ्ट कापी में स्थानीय निकाय निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम, पालिका परिषद व नगर पंचायतों में पिछड़े वर्गों के लिए रैपिड सर्वे का काम गुरुवार तक पूरा करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। अब शासन को जिलाधिकारियोंसे आने ाली रिपोर्ट का इंतजार है।
क्या होगा आरक्षण करने का तरीका
इस बार वार्डों के आरक्षण में काफी तब्दीली हो जाएगी। जनसंख्या के अनुपात में वार्डों के आरक्षण के लिए पहले-पहल अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति के लिए वार्डों की संख्या तय की जाएगी। जो वार्ड पिछली बार सामन्य था उसका आरक्षण होना तकरीबन तय हो गया है। उसमें भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। महिलाओं के आरक्षण में एससी एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित वार्ड तो निर्धारित किए जाएंगे, लेकन उनकी गणना आरक्षण के टोटल में भी होगी। नगर निगम और निकायों में महिलाओं का आरक्षण 33 प्रतिशत होगा और एससी का 21 प्रतिशतए एसटी को 2 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। शासन के आरक्षण के प्रस्ताव को लेकर विवाद पैदा हो गया है। समाजवादी पार्टी नेता मुजीबुर्ररहमान बबलू का कहना है कि भाजपा सरकार अपने हिसाब से नए तरीके से आरक्षण कराने जा रही है, जिससे सरकार की आरक्षण देने की मंशा को चोट पहुंचेगी।
इस बार वार्डों के आरक्षण में काफी तब्दीली हो जाएगी। जनसंख्या के अनुपात में वार्डों के आरक्षण के लिए पहले-पहल अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जाति के लिए वार्डों की संख्या तय की जाएगी। जो वार्ड पिछली बार सामन्य था उसका आरक्षण होना तकरीबन तय हो गया है। उसमें भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। महिलाओं के आरक्षण में एससी एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित वार्ड तो निर्धारित किए जाएंगे, लेकन उनकी गणना आरक्षण के टोटल में भी होगी। नगर निगम और निकायों में महिलाओं का आरक्षण 33 प्रतिशत होगा और एससी का 21 प्रतिशतए एसटी को 2 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। शासन के आरक्षण के प्रस्ताव को लेकर विवाद पैदा हो गया है। समाजवादी पार्टी नेता मुजीबुर्ररहमान बबलू का कहना है कि भाजपा सरकार अपने हिसाब से नए तरीके से आरक्षण कराने जा रही है, जिससे सरकार की आरक्षण देने की मंशा को चोट पहुंचेगी।