त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने जिस अवधपुरी को बैकुंठ से भी ज्यादा प्रिय बताया था। वह अवधपुरी कलियुग में मथुरा, काशी से भी पीछे हो गयी। लंबे समय तक रामजन्मभूमि विवाद का हल न होना इसकी बड़ी वजह बनी। बहरहाल, योगी सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प का खाका खींचा। फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या हुआ। रामजन्मभूमि पर फैसला आने से पहले भव्य दीपोत्सव रामलला के प्रति सरकार के श्रद्धाभाव को प्रदर्शित करता है। दीपोत्सव में पहले 3.31 लाख फिर राम नगरी में रिकॉर्ड 6.11 लाख दीप जलाए गए। राम की पैड़ी पर एक साथ 4.10 लाख दीप जलाने का नया विश्व रिकॉर्ड बना। इन आयोजनों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या की नयी पहचान बनी। सरयू किनारे 100 हेक्टेयर क्षेत्र में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की दुनिया की सबसे ऊंची 251 मीटर प्रतिमा लगाने की घोषणा ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। अब इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम शुरू हो चुका है। अयोध्या के समग्र विकास के लिए इस समय तकरीबन 300 करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं। सरयू स्नान घाटों से लेकर मंदिरों की चौखट तक को सजाने के लिए सरकार ने बजट जारी किया है। मणिराम दास जी की छावनी, वाल्मीकि रामायण भवन, श्री राम जन्मभूमि न्यास, कारसेवक पुरम सहित सभी प्रमुख स्थलों के रास्ते और गलियां भी संवारी जाएंगी। अयोध्या नगर निगम ने यहां के तुलसी उद्यान को विकसित करने के लिए हाल ही में 32 करोड़ का एलान किया है। इससे उद्यान से सटे प्राचीन भवनों, मठ-मंदिरों का सुंदरीकरण होगा। उद्यान में रामचरित मानस की चौपाइयां गूंजेंगी।
उत्तर प्रदेश में सालाना 28 करोड़ पर्यटक आते हैं। सरकार की योजना अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, गोवर्धन और वृंदावन में घरेलू पर्यटकों की संख्या को दोगुना करने की है। आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं को अयोध्या में ठहरने के लिए बेहतर इंतजाम करने होंगे। इसलिए दर्जनों होटल के निर्माण की स्वीकृत दी गयी है। यह सब सुखद पहलू हैं। लेकिन, योगी सरकार को यह समझना होगा कि निर्माण कार्यों को अमलीजामा पहनाने वाली मशीनरी, अफसर और ठेकदार वही हैं जो भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहे हैं। चाहे वह देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस वे निर्माण की बात हो, गोमती को संवारने के लिए बना रिवर फ्रंट हो फिर काशी के नव निर्माण के लिए चल रही तमाम प्रोजेक्ट हों, सभी में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। इन प्रोजेक्ट में ईओडब्ल्यू से लेकर सीबीआई तक की जांच चल रही हैं। इंजीनियरों, ठेकदारों और अफसरों पर एफआईआर दर्ज हैं। अयोध्या के विकास की मलाई भी जिम्मेदार एजेंसियां और ठेकेदार मिलकर न चट कर जाएं इस पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। राज्य सरकार के लिए यह चुनौती तो है ही योगी की बेदाग साख और प्रतिष्ठा का भी सवाल है। धर्मिक पर्यटन के साथ-साथ नव्य अयोध्या के बहाने भ्रष्टाचार के पतन का भी रास्ता योगी को खोजना होगा। तभी सही मायने में रामराज्य की अवधारणा साकार हो सकेगी।