सरकारी खजाने में होगी 35 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी
बताया जा रहा है कि यह वृद्धि केवल पांच साल के लिए की गई है। इसके साथ ही योगी सरकार ने परमिट के रिप्लेसमेंट और टैक्सी संचालन के लाइसेंस की दरों में भी बढ़ोत्तरी कर दी है। सरकार को उम्मीद है कि परमिट शुल्क बढ़ोत्तरी से सरकारी खजाने में 35 करोड़ रुपए तक राजस्व की बढ़ोत्तरी हो सकती है। कैबिनेट में लिए गए इस फैसले के बारे में प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया है कि इससे पहले 2010 में परमिट शुल्क में बढ़ोत्तरी की गई थी। जबकि परिहवन निगम की बसों (मंजिली वाहन) के किराये में 6 बार व नगरीय बसों के किराये में 2 बार बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इसी तरह सीएनजी, पेट्रोल व डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा, टेंपो, टैक्सी के किराया भी कई बार बढ़ाया गया।
प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया है कि बिहार व मध्य प्रदेश में लागू परमिट शुल्क की दरों को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश में भी योगी सरकार ने 2010 के बाद पहली बार परिमिट शुल्क में औसतन 27.34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया है लेकिन इस बढ़ोत्तरी से अस्थाई परमिट राशि को बिल्कुल मुक्त रखा गया है।
जानें किस श्रेणी के वाहनों के परमिट शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी
1. बसें (मंजिली) व माल वाहक वाहनों के लिए परमिट शुल्क में 25-25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
2. बड़ी टैक्सी (8 से 12 सीट वाले वाहन) को संभाग के भीतर चलने के लिए जारी परमिट शुल्क में 50 प्रतिशत व पूरे प्रदेश के लिए जारी होने वाले परमिट शुल्क में 33.33 प्रतिशत तक वृद्धि हुई।
3. मोटर टैक्सी (6 सीटर क्षमता वाली टैक्सी) को एक संभाग में चलने के लिए जारी होने वाले परमिट के शुल्क मे 100 प्रतिशत तक और प्रदेश व इससे सटे तीन अन्य प्रदेशों के लिए
जारी परमिट के शुल्क मे 50-50 प्रतिशत तक की वृद्धि। जबकि पूरे देश केलिए जारी होने वाले परिमिट शुल्क में 56.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
4. कंडम वाहनों के स्थान पर खरीदे जान वाले नये वाहनों के लिए पुराने परमिट का रिप्लेसमेंट करने पर लगने वाले शुल्क में भी 23.08 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।
5. टैक्सी संचालन के लिए जारी होने वाले लाइंसेस शुल्क में भी 33.33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है।