प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के मुताबिक, बेलगाम और भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ योगी सरकार काफी सख्त है। लंबे समय से उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों से जुड़े 456 मामलों की जांच आर्थिक अनुसंधान शाखा ईओडब्ल्यू कर रही थी। इनमें 143 मामलों में जांच पूरी हो गई है। इनसे जुड़े भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है। इस आदेश की संस्तुति भी कर दी गई है। भले ही अभी इस लिस्ट में 143 के ही नाम हैं, लेकिन स्क्रूटनी शुरू हो गई है, जल्द ही और भी कई भ्रष्ट अफसरों के नाम सामने आएंगे।
सरकार ने भ्रष्ट अफसरों को जेल की हवा खिलाने के लिये आर्थिक अपराध शाखा को अलग से थाना बनाकर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिया है। ये थाने लखनऊ, मेरठ, वाराणसी और कानपुर में बनेंगे। छात्रवृत्ति और अन्य घोटालों से संबंधित मामलों की जांच यहीं ट्रांसफर की जाएगी। साफ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार अब उन दागी अफसरों को बख्शने के मूड में नहीं है, जिनके नाम राशन घोटाले से लेकर खाद्यान्न समेत कई घोटालों में शामिल हैं या फिर वो कामचोर की श्रेणी में आते हैं।
मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच को बनी थी समिति
पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक की थी, तो सामने आया था कि पिछले 10 वर्षों से कई विभागों की करीब 450 से अधिक भ्रष्टाचार की फाइलें दबी पड़ी हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के भ्रष्टाचार की इन फाइलों को कई जांच एजेंसियों ने छिपा रखा है। मामला सामने आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसे दो महीनों में सभी लंबित फाइलों का निस्तारण कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।
पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक की थी, तो सामने आया था कि पिछले 10 वर्षों से कई विभागों की करीब 450 से अधिक भ्रष्टाचार की फाइलें दबी पड़ी हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के भ्रष्टाचार की इन फाइलों को कई जांच एजेंसियों ने छिपा रखा है। मामला सामने आते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसे दो महीनों में सभी लंबित फाइलों का निस्तारण कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया।
सीएम द्वारा गठित समिति ने जांच के बाद लंबित 144 मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये गये हैं। इनमें 150 से अधिक सरकारी अफसर-कर्मचारी शामिल हैं। शेष लंबित फाइलों की भी जांच जारी है। जल्द ही कई और अफसरों-कर्मचारियों के नाम सामने आएंगे। प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद अफसरों-कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
यह भी पढ़ें
यूपी के इन राज्य कर्मचारियों की जा सकती है नौकरी, सीएम योगी तैयार करवा रहे फाइनल लिस्ट
अफसरों-कर्चमारियों की स्क्रूटनी शुरूमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सूबे के लिये बोझ बने और सरकार को बदनाम कर रहे अफसर-कर्मचारियों को अब कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। काम में लापरवाही बरतने और जनता के हितों की अनदेखी करने वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिये अफसरों-कर्चमारियों की स्क्रूटनी भी शूरू हो गई है। रिव्यू मीटिंग्स में उन्होंने अफसरों-कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि अगर यूपी में काम करना है तो सभी को ईमानदारी और लगन के साथ 18-20 घंटे तक काम करना होगा। किसी भी कीमत पर अधिकारियों व कर्मचारियों की अकर्मण्यता स्वीकार नहीं की जाएगी। लेट-लतीफी रोकने के लिये सरकारी दफ्तरों में बायोमैट्रिक्स मशीनें भी लगाई गई हैं।
मृत्यु तक करें नौकरी
राज्य कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा हम चाहते हैं कि कर्मचारी मृत्यु तक सरकारी नौकरी करें। हम तो चाहते हैं कि एक सरकारी कर्मचारी जो बहुत अच्छा काम करता है, वह जब तक नहीं मरता, अपनी सेवाएं राज्य को दे। हम लोग तो यह चाहेंगे। पर जो काम नहीं करता, 50 की उम्र में हम उन सबकी स्क्रीनिंग भी करने जा रहे हैं। अगर सेवा नहीं कर पा रहे है हों तो अपने घर की सेवा करें, राज्य की नहीं।
राज्य कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा हम चाहते हैं कि कर्मचारी मृत्यु तक सरकारी नौकरी करें। हम तो चाहते हैं कि एक सरकारी कर्मचारी जो बहुत अच्छा काम करता है, वह जब तक नहीं मरता, अपनी सेवाएं राज्य को दे। हम लोग तो यह चाहेंगे। पर जो काम नहीं करता, 50 की उम्र में हम उन सबकी स्क्रीनिंग भी करने जा रहे हैं। अगर सेवा नहीं कर पा रहे है हों तो अपने घर की सेवा करें, राज्य की नहीं।
यह भी पढ़ें
राज्य पर बोझ बने अफसर-कर्मचारी नपेंगे, योगी सरकार करवा रही स्क्रूटनी
250 नियुक्तियों की होगी सीबीआई जांचराज्य सरकार ने वर्ष 2010 में सचिवालय में अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हई भर्ती की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। गृह विभाग ने इस संबंध में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को फाइल भेज दी है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि अपर निजी सचिव की भर्ती में काफी शिकायतें मिलने के बाद सीबीआई जांच के लिये पत्र भेज दिया गया है। बता दें अखिलेश सरकार में भर्तियों की जांच के बाद दौरान सीबीआई को इस मामले का पता चला था।