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लखनऊ

Exporters को ग्रीन कार्ड, ढाई गुना निर्यात बढ़ाने की तैयारी में योगी सरकार

– निर्यातकों की सहूलियत के निर्यात नीति में बदलाव कर रही योगी सरकार- सालाना तीन लाख करोड़ रुपये के निर्यात का योगी सरकार का लक्ष्य – ग्रीन कार्ड धारक निर्यातकों के मालवाहक वाहनों का चेकपोस्ट पर न्यूनतम निरीक्षण होगा

लखनऊOct 31, 2020 / 05:38 pm

Hariom Dwivedi

निर्यातकों को ग्रीन कार्ड, ढाई गुना निर्यात बढ़ाने की तैयारी

ग्रीन कार्ड धारक निर्यातकों के मालवाहक वाहनों का चेकपोस्ट पर न्यूनतम निरीक्षण होगा और उन्हें अनावश्यक रूप से रोका भी नहीं जाएगा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में उद्योगों के लिए बेहतर माहौल तैयार करने वाली योगी सरकार का फोकस अब निर्यात बढ़ाने पर है। योगी सरकार के पहले वर्ष में राज्य से करीब 90 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जो अभी 1.20 लाख करोड़ रुपये है। सरकार का लक्ष्य अगले तीन वर्ष में निर्यात को ढाई गुना यानी सालाना तीन लाख करोड़ रुपये पहुंचाने का लक्ष्य है। निर्यातकों की सहूलियत के लिए सरकार जहां निर्यात नीति में बदलाव कर रही है, वहीं उनके लिए सुविधाओं का पिटारा भी खोला जा रहा है। इनमें से एक सुविधा निर्यातकों को ग्रीन कार्ड दिया जाना भी है।
ग्रीन कार्ड धारक निर्यातकों के मालवाहक वाहनों का चेकपोस्ट पर न्यूनतम निरीक्षण होगा और उन्हें अनावश्यक रूप से रोका भी नहीं जाएगा। निर्यातकों की सहूलियत के लिए एकल खिड़की की व्यवस्था होगी, जहां विभिन्न विभागों से लाइसेंस, अनुमति, नवीनीकरण आदि की प्रक्रिया एक जगह ही पूरी होगी। निर्यातकों के प्रस्ताव सभी विभागों से तेजी से पास होंगे। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ग्रीन कार्डधारक निर्यातकों के प्रस्तावों का सभी विभागों में तेजी से निस्तारण होने के साथ ही उनकी किसी भी विभाग से संबंधित शिकायत का विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के माध्यम से त्वरित निवारण सुनिश्चित किया जाएगा।
ग्रीन कार्ड सिर्फ उन निर्यातकों को ही दिये जाएंगे जिनका निर्यात का रिकॉर्ड अच्छा होगा। सरकार यह भी देखेगी कि निर्यातकों का पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निर्यात टर्नओवर एक करोड़ रुपये या उससे अधिक था या नहीं। सीमा शुल्क विभाग से उन्हें ग्रीन चैनल्स की सुविधा हासिल है। ग्रीन कार्ड की इच्छुक इकाइयों पर छह माह से अधिक का कोई कर्ज या मुकदमा विचाराधीन नहीं होना चाहिए। उन पर कर चोरी या फ्रॉड के मामले भी नहीं होने चाहिए। डिफाल्टर हों। कर की समय से अदायगी करते हों और समय से कर्मचारियों की पीएफ धनराशि जमा करने वाले ही ग्रीन कार्ड के लिए पात्र होंगे।
निर्यात की बात करें तो देश के कुल हस्तशिल्प निर्यात में लगभग 45 फीसदी, प्रोसेस्ड मीट में 41 फीसदी, कालीन में 39 फीसदी और चर्म उत्पाद में उत्तर प्रदेश की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। उत्तर प्रदेश से जिन 10 प्रमुख देशों में निर्यात किया जाता है उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल, जर्मनी, चाइना, स्पेन, फ्रांस तथा मलेशिया प्रमुख हैं। बीते वर्ष यूपी ने नेपाल को 4014 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था।
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प्रतिवर्ष एक्सपोर्टर्स कॉनक्लेव कराएगी सरकार
निर्यात को बढ़ाने के लिए योगी सरकार निर्यातकों को परिवहन लागत, बिजली खर्च, बाजार विकास, प्रमाणीकरण आदि के लिए वित्तीय सहायता दिलाई जाएगी। साथ ही मार्केट रिसर्च पर विश्लेषणात्मक डेटाबेस, निर्यात संभावनों पर तिमाही रिपोर्ट, राज्य स्तर पर प्रतिवर्ष एक्सपोर्टर्स कॉनक्लेव व हैंड होल्डिंग सपोर्ट आदि भी सरकार करेगी। जिले स्तर पर निर्यात संवर्धन परिषद व जिला निर्यात बंधु का गठन किया जाएगा। ई-हाट पोर्टल भी विकसित होगा, जहां पशुओं का क्रय-विक्रय किया जा सकेगा।
सालाना तीन लाख करोड़ का लक्ष्य
अगले तीन वर्ष में सालाना तीन लाख करोड़ रुपये का निर्यात सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। नीति का क्रियान्वयन उत्तर प्रदेश निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के जिम्मे होगा। प्रस्तावित नीति को जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।- नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग

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