इससे समितियों को नुकसान होता है। जिले में इस वर्ष 182 उपार्जन केंद्र में कुल 112 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। लिमिट बढ़ने से रिकार्ड धान की खरीदी हुई। अब डीओ जारी नहीं होने से उपार्जन केंद्रों में धान पड़ा हुआ है। समितियों को सूखत की चिंता सता रही है। जानकारी के मुताबिक धान खरीदी के 72 घंटे के भीतर धान उठाव का प्रावधान है। फिर भी डेढ़ महीने के बाद भी शत-प्रतिशत धान का उठाव नहीं हुआ है।
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इधर, मौसम में भी लगतार परिवर्तन हो रहा है। जिससे समितियों की चिंता बढ़ती जा रही है। सरायपाली और बसना क्षेत्र के खरीदी केंद्रों में उठाव की गति धीमी है। समिति द्वारा धान का शीघ्र परिवहन की मांग की जा रही है। दूर-दराज के गांव में धान का उठाव ज्यादा प्रभावित हुआ है। धान की नमी भी अब कम होती जा रही है। सहकारी समिति संघ के अध्यक्ष तुलाराम ने बताया कि कुछ केंद्रों में आज धान भीग गया है। पिथौरा और तुमगांव में अच्छी बारिश हुई है। मोटा धान का ही डीओ कटा है। सरना धान का डीओ नहीं कट रहा है। डीएमओ राहुल अंड्रस्कर ने बताया कि समितियों को मौसम को देखते हुए तिरपाल से धान को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए हैं। हल्की बूंदाबांदी
महासमुंद में सुबह हल्की बूंदाबांदी हुई। सुबह बदली छाए रहने के बाद दोपहर में धूप खिली रही। हालांकि, 20 मार्च तक मौसम विभाग ने बारिश की संभावना जताई है। इसे देखते हुए महासमुंद के आस-पास के समितियों में धान को सुरक्षित रखने के लिए तिरपाल से कवर किया गया है। जिससे धान का भीगने बचाया जा सके।
महासमुंद में सुबह हल्की बूंदाबांदी हुई। सुबह बदली छाए रहने के बाद दोपहर में धूप खिली रही। हालांकि, 20 मार्च तक मौसम विभाग ने बारिश की संभावना जताई है। इसे देखते हुए महासमुंद के आस-पास के समितियों में धान को सुरक्षित रखने के लिए तिरपाल से कवर किया गया है। जिससे धान का भीगने बचाया जा सके।
उठाव की गति धीमी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी फरवरी के पहले सप्ताह तक की गई। खरीदी के दौरान तेजी से धान का परिवहन हो रहा था। इसके बाद गति धीमी हो गई है। डीओ जारी नहीं होने से समितियां भी परेशान हैं। वर्तमान में 9 लाख क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में रखा हुआ है। समय पर परिवहन नहीं होता है तो बारिश होने पर धान भीग जाएगा।