
ऋण देने के नियम में हुआ बदलाव, अब किसानों को कराना होगा ऑनलाइन रजिस्टर्ड
महासमुंद. खरीफ फसल के लिए किसानों को अब ऋण लेने के पूर्व अपनी कृषि भूमि का ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है। रजिस्टर्ड होने के बाद ही किसानों को ऋण मिल पाएगा। पूर्व में किसान कृषि भूमि के पर्ची के माध्यम से खेती किसानी के लिए ऋण लेते थे, अब नए नियमों में परिर्वतन करते हुए ऑनलाइन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
मार्च माह बीतने के बाद खरीफ फसलों की खेती के लिए किसान अप्रैल माह से ऋण लेना प्रारंभ कर देते हैं। इधर, जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी का कहना है कि किसानों को ऋण देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इस बार नियमों में परिवर्तन के कारण कृषि ऋण मिलने में न सिर्फ विलंब होगा, बल्कि किसानों को परेशानी भी उठानी पड़ सकती है। किसानों को जिला सहकारी बैंक के माध्यम से प्रति एकड़ करीब १६ से १८ हजार रुपए तक कृषि ऋण बगैर ब्याज के उपलब्ध कराया जाता है। यह प्रक्रिया अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ हो जाती है। ज्ञात हो कि पूर्व में किसान कृषि भूमि पर्ची के माध्यम से ही सेवा सहकारी समितियों से अपनी जरूरत के हिसाब से ऋण लेते थे। अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है।
कृषि भूमि का ऑनलाइन रजिस्टर्ड होने के बाद ही कृषि ऋण मिलेगा। बैंक से मिली जानकारी के मुताबिक नई व्यवस्था से किसान एक ही कृषि के टुकड़े पर अलग-अलग स्थानों से कृषि ऋण नहीं ले पाएंगे। नोडल अधिकारी डीएल नायक ने बताया कि पूर्व में किसान एक ही जमीन पर अलग-अलग बैंकों से कृषि ऋण ले लेते थे, अब नई प्रक्रिया के बाद किसान एक ही बैंक से ऋण ले सकते हैं।
इन दिनों किसान अपने भूमि को ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराने में जुटे हुए हैं। सिंचित भूमि में 45 हेक्टेयर तक व असिंचित भूमि में 30 हजार हेक्टेयर तक साढ़े चार लाख का ऋण किसानों को दिया जाता है। इस बार भी किसानों को कृषि कार्य के लिए ऋण देना शुरू हो गया है। समितियों के माध्यम से किसानों को ऋण दिया जा रहा है।
नई प्रकिया के आधार पर यदि किसानों को सही समय पर ऋण नहीं मिलेगा तो परेशानी बढ़ सकती है। अप्रैल महीने में किसानों को ऋण मिलना प्रारंभ हो जाया करता था, लेकिन इस बार नियमों में परिवर्तन होने की वजह से किसानों ने ऋण लेना प्रारंभ नहीं किया है। किसानों का कहना है कि यदि ऋण लेने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा तो, कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों ने कहा कि ऋण लेने के बाद समर्थन मूल्य में धान सरकार को बेचते हैं। उससे प्राप्त राशि का ऋण अदा करते हैं। समय पर ऋण नहीं मिला तो मुश्किल हो सकती है।
जिला सहकारी बैंक के एक लाख १७ हजार पंजीकृत किसान हैं। हजारों किसानों का कर्जा माफ हुआ है, लेकिन वर्तमान में 30-40 हजार किसान अभी भी बैंक के कर्जदार हंै। इनके खाते में रकम जस की तस दिखा रही है। हालांकि सरकार ने कर्जा माफ कर दिया है, लेकिन किसानों को कर्ज माफी प्रमाण-पत्र नहीं मिला है। ऐसे में ऋण लेने में परेशानी हो सकती है।
Published on:
26 Apr 2019 08:00 pm
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