करीब दो साल से डाकघरों में भी गंगाजल की बिक्री हो रही है। छह महीने पहले महासमुंद डाकघर ने ऋषिकेश से 50 सेट गंगाजल मंगवाया था। एक सेट में करीब 46 बोतल होते हैं। यानी 2300 गंगाजल के बोतल आए थे। गंगाजल की बिक्री होती गई, किसी ने बोतल की ओर ध्यान नहीं दिया। कुछ दिन पहले डाकघर के कर्मचारियों ने देखा कि कई बोतल खाली हैं, उसमें गंगाजल नहीं है। ध्यान से देखा तो प्लास्टिक की बोतल को चूहे कुतर गए थे। गंगाजल की एक बूंद भी नहीं थी। यह देखकर कर्मचारी चौंक गए। वहीं चूहों के आतंक के कारण डाकघर में दस्तावेज भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। चूहे दस्तावेजों को कुतर-कुतर कर बर्बाद कर रहे हैं। चूहों के आतंक से दस्तावेजों की सुरक्षा डाकघर के कर्मचारियों के सामने चुनौती बन गई है। किए जा रहे उपाय भी काम नहीं आ रहे हैं।