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महोबा

नाराज किसानों ने एसडीएम का किया घेराव,आत्मदाह की दी चेतावनी

जिस तालाब में सिंघाड़े की खेती करते हैं किसान उसे मछली पालन के लिए पट्टे पर दिए जाने से हैं खफा।
 

महोबाJan 07, 2018 / 04:53 pm

Ashish Pandey

Angered Farmers encircled

Angered Farmers encircled

महोबा. बुंदेलखंड का किसान दैवीय आपदाओं का पहले से ही मारा हुआ है तो अब प्रशासन भी किसान के पेट पर लात मारने की साजिश रच रहा है। ऐसे ही एक सैकड़ा सिंघाड़ा किसान अपना दर्द लेकर एसडीएम की चौखट पर पहुंचे थे, लेकिन एसडीएम ने उनका दर्द सुनना तो दूर, उनसे बात करना तक मुनासिब नहीं समझा। नाराज किसानों ने एसडीएम का घेराव कर अपना आक्रोश व्यक्त किया, जबकि जिम्मेदार अधिकारी संवेदनशील मामले में कुछ भी बोलने से बचते नजर आए। मामला मत्स्य विभाग से जुड़ा हुआ है।
सूबे की सरकार बुन्देलखण्ड के किसानों का दर्द दूर करने के लिए एक तरफ मुआवजे का मरहम लगा रही है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी नुमाइंदे किसानों को न केवल बेरोजगार कर रहे हैं बल्कि उनकी रोजी रोटी छीन कर भुखमरी की दहलीज पर ला रहे हैं। मामला महोबा जनपद का है, जहाँ सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम सिजहरी में रहने वाले दर्जनों रैकवार समाज के परिवार गांव के तालाब में सिंघाड़े की खेती कर अपने परिवार को पालते हैं। पिछले तीन पीढिय़ों से यह समाज तालाब में होने वाली सिंघाड़े की खेती के बलबूते बसर कर रहे है, लेकिन अबकी बार प्रशासन मत्स्य विभाग के अंतर्गत तालाब का पट्टा मछली पालन के लिए किये जाने की योजना बना रहा है। शनिवार को इसी तालाब के पट्टे के बाबत सदर तहसील में बोली लगाए जाने का कार्यक्रम चल रहा था, जिसकी सूचना मिलते ही एक सैकड़ा महिला-पुरुष किसान तहसील पहुँच गए और तालाब के पट्टे के विरोध में जमकर हंगामा किया।
एसडीएम से नोकझोंक भी हुई
दरअसल यह किसान अपना दर्द बताने के लिए एसडीएम की चौखट पर आए थे। मगर एसडीएम साहब ने किसानों की शिकायत सुनना तो दूर उनसे मुलाकात तक नहीं की। जब एसडीएम किसानों की शिकायत सुने बिना जाने लगे तो किसान आक्रोशित हो गए और एसडीएम के वाहन का घेराव कर लिया। इस बीच किसानों की एसडीएम से नोकझोंक भी हुई। माहौल को गर्म होता देख एसडीएम मृदुल कुमार मीटिंग का हवाला देकर वहां से खिसक गए। किसानों की नाराजगी इस बात पर थी की बीजेपी सरकार किसान हितैषी होने की बात करती है, मगर सरकारी मुलाजिम उनकी रोजी रोटी ही छीनना चाहते हैं।
रोजगार ? का दूसरा कोई इंतेजाम नही है
किसानों ने बताया कि सिघाड़े की खेती से ही उनका परिवार दो वक्त की रोटी खा पाता है। इसके अलावा उनके पास रोजगार का दूसरा कोई इंतेजाम नहीं है। पीढ़ी दर पीढ़ी ये सिघाड़ा खेती ही उनका एक मात्र पेट भरने का जरिया है। अगर तालाब का पट्टा मछली पालन के लिए किया जाएगा तो वो सड़क पर आ जायेंगे और उनका परिवार भुखमरी झेलने के लिए मजबूर हो जाएगा। एक किसान ने तो अपना दर्द बताते हुए कहा कि ये तालाब की नीलामी नहीं किसान की नीलामी है। अगर हम किसानों की फरियाद प्रशासन ने न सुनी यो वो आत्महत्या तक कर लेंगे।
इस मामले में एसडीएम सदर ने जहां कुछ भी बोलने से मना कर दिया तो वहीं मत्स्य विभाग के अधीक्षक राजेश कुमार ने बिना उच्च अधिकारियों के कुछ भी बताने से ही हाथ खड़े कर दिए। जबाबदेही अधिकारी मामले से न केवल कन्नी काटते दिखे बल्कि मामले में कुछ भी बताने से गुरेज कर रहे थे। बहरहाल सरकार की मंशा किसान हित की है ये जनप्रतिनिधि मंच से चीख चीख कर बताते हैं मगर सरकारी मुलाजिमों का किसान विरोधी राग सरकार की चाह पर सवाल खड़े करती है।

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