एसडीएम से नोकझोंक भी हुई
दरअसल यह किसान अपना दर्द बताने के लिए एसडीएम की चौखट पर आए थे। मगर एसडीएम साहब ने किसानों की शिकायत सुनना तो दूर उनसे मुलाकात तक नहीं की। जब एसडीएम किसानों की शिकायत सुने बिना जाने लगे तो किसान आक्रोशित हो गए और एसडीएम के वाहन का घेराव कर लिया। इस बीच किसानों की एसडीएम से नोकझोंक भी हुई। माहौल को गर्म होता देख एसडीएम मृदुल कुमार मीटिंग का हवाला देकर वहां से खिसक गए। किसानों की नाराजगी इस बात पर थी की बीजेपी सरकार किसान हितैषी होने की बात करती है, मगर सरकारी मुलाजिम उनकी रोजी रोटी ही छीनना चाहते हैं।
किसानों ने बताया कि सिघाड़े की खेती से ही उनका परिवार दो वक्त की रोटी खा पाता है। इसके अलावा उनके पास रोजगार का दूसरा कोई इंतेजाम नहीं है। पीढ़ी दर पीढ़ी ये सिघाड़ा खेती ही उनका एक मात्र पेट भरने का जरिया है। अगर तालाब का पट्टा मछली पालन के लिए किया जाएगा तो वो सड़क पर आ जायेंगे और उनका परिवार भुखमरी झेलने के लिए मजबूर हो जाएगा। एक किसान ने तो अपना दर्द बताते हुए कहा कि ये तालाब की नीलामी नहीं किसान की नीलामी है। अगर हम किसानों की फरियाद प्रशासन ने न सुनी यो वो आत्महत्या तक कर लेंगे।
इस मामले में एसडीएम सदर ने जहां कुछ भी बोलने से मना कर दिया तो वहीं मत्स्य विभाग के अधीक्षक राजेश कुमार ने बिना उच्च अधिकारियों के कुछ भी बताने से ही हाथ खड़े कर दिए। जबाबदेही अधिकारी मामले से न केवल कन्नी काटते दिखे बल्कि मामले में कुछ भी बताने से गुरेज कर रहे थे। बहरहाल सरकार की मंशा किसान हित की है ये जनप्रतिनिधि मंच से चीख चीख कर बताते हैं मगर सरकारी मुलाजिमों का किसान विरोधी राग सरकार की चाह पर सवाल खड़े करती है।