गौरतलब है कि गौ संरक्षण को लेकर गठित समिति को गौवंशो की समस्या के निस्तारण के निर्देश देते हुए गौशालाओं का संचालन कराने के निर्देश दिए थे। मगर योजना में कर्मचारियों के द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही अब उजागर होने लगी है। कहने को तो पनवाड़ी विकास खंड में 36 गौ आश्रत केन्द्र खोले गए है। मगर इन केन्द्रों के संचालन में व्यापाक स्तर पर घपलेवाजी हो रही है। गौ संरक्षण समिति गौवंशो के लिए आने वाले भूसा की धनराशि में बंदरबांट करने में जुट गए है। जिससे गौवंश पेट की आग शांत करने कि लिए कचरा व कूड़ा खाने को मजबूर हो रहे है। अभियान चलाकर गौ आश्रय केन्द्रों में जमा कराए गए गौवंशो की संख्या दिनों-दिन कम होने लगी है। कर्मचारी कागजी घोड़े दौड़ाकर योजना की सफलता करने का श्रेय लेने की जुगत भिड़ा रहे है। सड़कों में भटक रहे अन्ना पशु योजना में बरती जा रही लापरवाही को उजागर कर रहे है। अधिकारी भी मामलें में बरती जा रही लापरवाही पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं।