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महोबा

जंतर-मंतर में अनशन की नहीं मिली अनुमति, अनशनकारियों ने प्रशासन की भूमिका पर उठाए सवाल

बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर में पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर अनशन करने की अनशनकारियों को अनुमति नहीं मिली।

महोबाJan 29, 2019 / 05:15 pm

Abhishek Gupta

Bundeli Samaj

Bundeli Samaj

महोबा. बजट सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर में पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर अनशन करने की अनशनकारियों को अनुमति नहीं मिली। दिल्ली में अनशन का आह्वान महोबा में पिछले 215 दिन से अनशन पर बैठे अनशनकारियों ने किया था। अनुमति न मिलने के लिए उन्होंने प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
अनशनकारी बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर व बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सुखनंदन सिंह यादव ने बताया कि हमने दस दिन पहले 21 जनवरी को जंतर मंतर में एक दिवसीय अनशन की सूचना दिल्ली पुलिस प्रशासन तक पहुंचाने के लिए महोबा जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया था, ताकि हमें वहां कोई परेशानी न हों, लेकिन 28 जनवरी को शाम 5 बजे तक संसद भवन पुलिस स्टेशन के पास महोबा जिला प्रशासन की तरफ से कोई सूचना नहीं पहुंची। हमने पृथक बुंदेलखंड राज्य आंदोलन से जुड़े अपने साथी व आभास महासंघ के प्रमुख लाल सिंह व बृजेन्द्र कुमार को अनुमति लेने की औपचारिकताएं पूरा करने के लिए जब संसद भवन थाने भेजा तो हकीकत पता चली।
दूसरी ओर इंटेलीजेंस अफसर कह रहे हैं कि हमने सूचना उसी दिन भेज दी थी। दिल्ली पुलिस के अफसर झूठ बोल रहे हैं। दोषी कौन है, पता नहीं। हमने इसकी शिकायत गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर व प्रधानमंत्री कार्यालय में की है।
कुरारा में होने वाली सभा में तय करेंगे रणनीति-

उन्होंने बताया कि जंतर मंतर में अनशन के लिए 7 दिन पहले थाने में सूचना देना आवश्यक होता है। तभी पुलिस प्रशासन अनशन करने की अनुमति देता है और एक प्रतिनिधि मंडल को ज्ञापन देने के लिए बाकायदा अपनी गाड़ी से स्वयं पीएम हाउस ले जाता है। पुलिस ने सात दिन बाद की अनुमति देने को कहा, लेकिन हम अपने सभी सहयोगी संगठनों व साथियों से विचार विमर्श के बिना यह निर्णय नहीं कर सकते। ऐसे हालात में हम लोगों के दिल्ली कूच करने के सिवाय परेशानी व धनहानि के कुछ लाभ होने की उम्मीद नहीं है। अब हम अगले सप्ताह कुरारा में होने वाली सभा में आगे की रणनीति तय करेंगे।

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