यह है पूरा मामला
जिला अस्पताल में 102 और 108 एंबुलेंस गंभीर मरीजों को लाने और ले जाने के लिए है। गरीब मरीजों को एंबुलेंस सुविधा मिलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। कस्बा श्रीनगर निवासी रामकृपाल मृत जानवरों को रिक्शे से ढोकर परिवार का भरण पोषण करता है। वह मां को जिला अस्पताल लाया जहां दवा देने के बाद डाक्टरों ने 9 दिन बाद बुलाया। रामकृपाल ने मां को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की चाहत की पर उसे मां को उसी मृत मवेशी ढोने वाले रिक्शे से ही घर ले जाना पड़ा।
रिक्शा चलाने को मजबूर
रामकृपाल खुद वृद्धावस्था के करीब है और रिक्शा चलाने को मजबूर है। मानवता तब शर्मसार हुई जब वह अपनी बीमार वृद्ध मां पार्वती को पहले श्रीनगर पीएचसी लाया यहां से रेफर होने के बाद वह मां को जिला अस्पताल लेकर आया। गरीब रामकृपाल को बीमार मां को ले जाने के लिए एंबुलेंस सुविधा नहीं मिली। काफी समय तक प्रतीक्षा करने के बाद मरे पशुओं को ढोने वाले रिक्शे में लादकर वह बीमार वृद्ध मां को 19 किमी दूर घर श्रीनगर ले गया। वहीं गरीब की मां को अस्पताल में भर्ती न करने से भी रामकृपाल दुखी है।
इस मामले में जिम्मेदार कुछ भी बोलने से मना कर रहे हैं मगर दबी जुबान इतना जरूर कहती है कि युवक द्वारा एम्बुलेंस की कोई मांग नहीं की गई।